लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अलोक कुमार राय के कुशल नेतृत्व से लखनऊ विश्वविद्यालय के PhD प्रवेश का सत्र नियमित होकर पटरी पर आ गया है। लखनऊ विश्वविद्यालय के नैक A++ होने के उपरांत शोध के लिए आने वाले अभ्यर्थियों की संख्या में तो वृद्धि हुई ही है, साथ ही महिला शोधार्थियों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है।
भरण-पोषण की तलाश में खोता बचपन
सत्र 2020-21 में जहां 213 महिला शोधार्थियों ने PhD में प्रवेश लिया था वही नैक ग्रेड मिलने के बाद सत्र 21-22 में 632 महिला शोधार्थियों ने शोध में प्रवेश लिया जो की पिछले वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में 200 प्रतिशत अधिक है।
यह भी उल्लेखनीय है कि सत्र 2021-22 में पुरुष शोधार्थियों की अपेक्षा महिला शोधार्थियों ने अधिक संख्या में प्रवेश लिया। यह विश्वविद्यालय की उच्च शोध की गुणवत्ता एवं विश्वबिद्यालय के बदले सकारात्मक एवं सुरक्षित वातावरण का परिणाम है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक सत्र 2022-23 के आवेदन प्रचलन में हैं, जिसमें अभी तक लगभग 60 प्रतिशत आवेदन महिला शोधार्थियों के आ चुके हैं। पीएचडी की सत्र 2022-23 की प्रवेश परीक्षा जल्द ही प्रस्तावित है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के नैक A++ होने के उपरांत राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोध करने वाले अभ्यर्थियों का रुझान विश्वविद्यालय की ओर बहुत बढ़ गया है।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हैं स्वयं सहायता समूह
विभिन्न देशों के 35 अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों ने शोध में प्रवेश लिया है जो सत्र 2020-21 की तुलना में 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्शाता है। सत्र 2020-21 में जहां देश के 12 राज्यों एवं के शोधार्थियों ने विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया वहीँ नैक A++ ग्रेड मिलने के उपरांत सत्र 2021-22 में देश के 19 राज्यों के शोध विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया है।
ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं होती हैं सबसे अधिक हिंसा का शिकार
सत्र 2022-23 की Ph.D प्रवेश प्रक्रिया अभी चल रही है और 26 राज्यों से शोध करने के लिए अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। आवेदन की अंतिम तिथि 19 फरवरी है।