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महाकुम्भः विदेशी श्रद्धालुओं पर चढ़ा भगवा रंग

महाकुंभ में देश ही नहीं दुनियाभर से लोग प्रयागराज पहुंच रहे हैं। 14 जनवरी को अखाड़ों के स्नान के बाद महाकुंभ शुरू हो गया है। वहीं, विदेशी भक्तों में सनातन धर्म के लिए उत्साह देखा जा रहा है।

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पावन संगम नगरी प्रयागराज में आस्था का सबसे बड़ा मेला ‘महाकुंभ’, अपने दिव्य स्वरूप में शुरू हो चुका है। यह सिर्फ एक धार्मिक मेला न होकर आस्था और अध्यात्म का एक ऐसा विशाल सागर नजर आता है, जहां हर कोई अपनी आत्मा को शांति और पवित्रता से भरने के लिए खिंचा चला आ रहा है। पौष पूर्णिमा पर पहले और मकर संक्रांति पर दूसरे अमृत स्नान के बाद गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम पर लाखों श्रद्धालु भक्ति के रंग में रंगे नजर आ रहे हैं।

यहां हर तरफ एक अलौकिक ऊर्जा का संचार है, जहां मानव-मानव के बीच कोई भेद नहीं, सभी एक ही रंग में रंगे हुए हैं, वह है ‘भक्ति के रंग में’। देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग इस अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव के साक्षी बनने के लिए पहुंच रहे हैं।

महाकुंभ मेला प्रयागराज में दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और स्पेन से आए तीर्थयात्रियों ने भी गंगा में डुबकी लगाकर अपनी खुशी और श्रद्धा का इजहार किया है। उनका कहना था कि इस पवित्र स्थान पर आकर उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है जैसे उनकी आत्मा को नई ऊर्जा मिल गई हो। उन्होंने बताया कि यहां की शांति, लोगों का प्रेम और भक्ति का भाव उन्हें बहुत प्रभावित कर रहा है।

महाकुंभ की खासियतः 144 वर्षों में एक बार होने वाले दुर्लभ खगोलीय संयोग

इस बार का महाकुंभ इसलिए भी खास है, क्योंकि यह 144 वर्षों में एक बार होने वाले दुर्लभ खगोलीय संयोग में हो रहा है। यही कारण है कि इस दिव्य आयोजन में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं। हर कोई यहां आकर अपनी आत्मा को पवित्र करना चाहता है और इस आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा बनना चाहता है। रूस से आए भक्तों ने कहा कि हम पहली बार कुंभ मेले में आए हैं और बहुत उत्साहित हैं। यहां आपको असली भारत देखने को मिलता है, भारत की असली शक्ति उसके लोग हैं। यहां के लोगों की ऊर्जा और इस पवित्र स्थान की आभा से मैं रोमांचित हूं। मुझे भारत से प्रेम है, मेरा भारत महान!

सात सालों से कर रहे सनातन धर्म का पालन: जेरेमी

सात वर्षों से सनातन धर्म का पालन कर रही जेरेमी ने गंगा मां और यमुना मां के दर्शन करने पर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में तर्क है, यह समझ में आता है। इसमें विश्वास है, लेकिन अंधविश्वास नहीं। यह बहुत सुंदर है।

ब्राजील के भक्त फ्रांसिस्को ने कहा कि यह अद्भुत है; भारत दुनिया का आध्यात्मिक केंद्र है…। पहली बार भारत आए एक विदेशी श्रद्धालु जोनाथन ने कहा कि उनका अनुभव ‘बहुत ज्यादा अच्छा’ रहा है। उन्होंने बताया कि यहां के लोग बहुत प्यारे हैं, भोजन अद्भुत है और तीर्थस्थलों और मंदिरों को देखकर मैं अभिभूत हूं। मैं अमृत स्नान करना चाहता हूं। यह बहुत रोमांचक है।

जीवन में कभी ऐसा नहीं किया महसूस: क्लाउडिया

पौलेंड से आईं श्रद्धालु क्लाउडिया ने कहा कि मुझे यहां आकर अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है। मैंने कभी भी ऐसा महसूस नहीं किया था। कभी नहीं सोचा था कि मुझे कभी जीवन में इस तरह का अनुभव मिलेगा।

ऑस्ट्रेलिया से आईं योग टीचर “मंजरिका”

ऑस्ट्रेलिया से आईं श्रद्धालु मंजरिका ने बताया कि मैं भारत में पिछले 40 दिनों से हूं। जब मैं भारत आई थी, तो मैंने सोच लिया था कि मैं किसी भी कीमत पर महाकुंभ मेले में जरूर शिरकत करूंगी, क्योंकि यह अपने आप में अद्भुत अनुभव था। इस तरह का अनुभव हमेशा नहीं मिलता है। मैं स्नान करूंगी। मुझे इस तरह का अनुभव देखकर बहुत अच्छा लगा। मैं पेशे से योग टीचर हूं।

जापान के मसाजी दूसरी बार महाकुंभ में आये

महाकुंभ मेले में जापान से आए श्रद्धालु मसाजी ने बताया कि मैं दूसरी बार महाकुंभ मेले में आया हूं और मुझे यहां आकर अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है, जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। यहां पर मंत्रमुग्ध करने वाला वातावरण है। मैं यहां पर दो दिनों तक ही हूं, जिसके बाद मैं वापस जापान चला जाऊंगा। महाकुंभ मेला बहुत ही अनुपम है। मैं हिंदू नहीं हूं। इसके बावजूद यह मेरे लिए बहुत अहम है। मुझे यहां आकर खुशी की अनुभूति हो रही है। जापान से आई अन्य श्रद्धालु मिसाकी ने भी माना कि उन्हें यहां शांति का एहसास हो रहा है।

साउथ अफ्रीका की निक्की गंगा मां की महिमा देखकर हुईं अभिभूत

साउथ अफ्रीका के केप टाउन से आईं निक्की गंगा मां की महिमा देखकर अभिभूत हैं। निक्की ने बताया कि यह जगह बहुत ही शक्तिशाली है और हम गंगा नदी के किनारे आकर धन्य महसूस कर रहे हैं। यह बहुत सुंदर है। सड़कें साफ हैं, लोग बहुत मिलनसार और खुश हैं।

मैसूर से ताल्लुक रखने वाले जर्मनी के नागरिक जितेश ने देखा अनोखा दृश्य

महाकुंभ में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब मैसूर से ताल्लुक रखने वाले और अब जर्मनी के नागरिक, जितेश प्रभाकर अपनी पत्नी सास्किया न्नौफ और अपने नन्हे बेटे आदित्य के साथ पहुंचे। जितेश ने बताया, यह मायने नहीं रखता कि मैं यहां (भारत में) रहता हूं या विदेश में, जुड़ाव बना रहना चाहिए। मैं हर दिन योग का अभ्यास करता हूं। व्यक्ति को हमेशा जमीन से जुड़ा रहना चाहिए और अपने भीतर की यात्रा करने का प्रयास करते रहना चाहिए। जितेश की पत्नी सास्किया न्नौफ ने भी कहा, मैं बहुत उत्साहित हूं। मुझे हमेशा यहां आना अच्छा लगता है।

अपने दोस्तों के साथ स्पेन से आए जोस पहुंचे महाकुंभ

                   दया शंकर चौधरी

स्पेन से आए जोस अपने दोस्तों के साथ इस आध्यात्मिक यात्रा पर निकले हैं। जोस ने बताया, हम यहां कई दोस्त आए हैं – स्पेन, ब्राजील, पुर्तगाल से, हम एक आध्यात्मिक यात्रा पर हैं। मैंने पवित्र डुबकी लगाई और मुझे बहुत आनंद आया, मैं बहुत भाग्यशाली हूं। आगे कहा, वे सब मिलकर इस आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव कर रहे हैं और इससे उन्हें एक नई ऊर्जा और शांति मिल रही है। इटली से आए एक भक्त ने कहा कि यहां की व्यवस्था और वातावरण सब कुछ अच्छा है। उन्होंने कहा, सब कुछ बहुत अच्छी तरह से आयोजित किया गया है, इतनी बड़ी संख्या में भक्त यहां एकत्रित हुए हैं। मुझे यह वास्तव में बहुत पसंद आया। यहां का दृश्य वाकई में मनोरम है। कनाडा से आईं एलोडी बर्थोमियु, डेनियल गिगेरे, लिसेन सिने, आस्ट्रेलिया से केरी मेरियट, अमेरिका से सिंथिया पीटर्स, रान्डा अकिन, हीदर चार्लटन और एंजेला कॉफी, स्विटजरलैंड से विवियन केम्पफेन और जापान से रेइको ह्योदो सहित 200 ब्रह्मचारी और शिष्य भी शिविर पहुंच गए हैं।

विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के एक्सटर्नल पब्लिसिटी एंड पब्लिक डिप्लोमेसी डिवीजन द्वारा आयोजित 10 देशों का 21 सदस्यीय अंतर्राष्ट्रीय दल के आवास की व्यवस्था अरैल क्षेत्र स्थित टेंट सिटी में की गई है, जिसे उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा निर्मित किया गया है। रात में टेंट सिटी में रात्रि भोजन और विश्राम की व्यवस्था की गई है। इस अंतर्राष्ट्रीय दल में फिजी, फिनलैंड, गयाना, मलेशिया, मॉरीशस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, त्रिनिदाद एंड टोबैगो और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के प्रतिनिधि शामिल हैं।

दुनियाभर का मीडिया और भारत का महाकुम्भ

महाकुंभ के इस आयोजन को लेकर विदेशी मीडिया में कई खबरें भी चल रही हैं। किसी न्यूज चैनल ने इस आयोजन के विशाल स्तर को लेकर आश्चर्य जाहिर किया है तो कहीं इसे लेकर उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार की तैयारियों की समीक्षा की गई है। आइये जानते हैं कि महाकुंभ के आयोजन को लेकर कहां-क्या कहा जा रहा है।

यूपी की संगम नगरी-प्रयागराज में महाकुंभ मेले का दिव्य और भव्य आगाज हो गया है। पौष पूर्णिमा के साथ ही 26 फरवरी तक चलने वाले महाकुंभ की शुरुआत हो गई है। इस बार महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस मौके पर दुनियाभर के मीडिया समूह प्रयागराज में जुटे हैं। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस से लेकर जर्मनी और अन्य देशों के पत्रकार भी पहुंचे हैं। इसके अलावा कुछ अन्य संगठन भी महाकुंभ के आयोजन और इसके लिए की गई तैयारियों की भव्यता को देख रहे हैं।

महाकुंभ के इस आयोजन को लेकर विदेशी मीडिया में कई खबरें भी चल रही हैं। किसी न्यूज चैनल ने इस आयोजन के विशाल स्तर को लेकर आश्चर्य जाहिर किया है तो कहीं इसे लेकर उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार की तैयारियों की समीक्षा की गई है। आइये जानते हैं कि महाकुंभ के आयोजन को लेकर कहां-क्या कहा जा रहा है?

सीएनएन: सीएनएन ने महाकुंभ को दुनिया के सबसे महान धार्मिक आयोजनों में से एक करार दिया है। मीडिया समूह ने कुंभ में पहुंचने वाले लोगों की अनुमानित संख्या को चौंकाने वाला करार देते हुए कहा कि यहां प्रशासन इस आयोजन को सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम न कहकर एक सांस्कृति आयोजन करार दे रहा है, जहां बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज से लेकर विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है।

बीबीसी: ब्रिटिश मीडिया समूह बीबीसी ने इस कार्यक्रम का कवरेज करते हुए इस आयोजन को मानवता का सबसे बड़ा जुटाव करार दिया। बीबीसी के मुताबिक, इस आयोजन को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। न्यूज चैनल ने यहां अलग-अलग देशों से आए लोगों से भी बात की। अर्जेंटीना से आए एक 90 सदस्यीय समूह में शामिल सबैस्चियन डिएगो ने बताया कि वह इस भक्ति के अनुभव को सामने से देखने के लिए आए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे गंगा ने बुलाया, इसलिए मैं यहां आ गया।

एसोसिएटेड प्रेस: अगले 45 दिन में अमेरिका की जनसंख्या (करीब 34 करोड़) से ज्यादा लोग (अनुमानित 40 करोड़) इस महाकुंभ में स्नान के लिए पहुंचने वाले हैं। यह सऊदी अरब में मुस्लिमों के पवित्र स्थल मक्का और मदीना में हर साल हज के लिए जाने वाले 20 लाख लोगों से 200 गुना ज्यादा है। यह आयोजन भारत के अधिकारियों के लिए बड़ी परीक्षा होगी, जिसमें वह हिंदू धर्म के लिए आयोजन के साथ साथ पर्यटन और भीड़ प्रबंधन में भी जुटेंगे।

एपी ने इसी लेख में कहा है कि भारत के पिछले नेताओं ने इन आयोजनों के जरिए देश के हिंदुओं से अपने रिश्ते मजबूत करने की कोशिशें  की हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंतर्गत यह आयोजन हिंदू राष्ट्रवाद का एक अहम हिस्सा बन चुका है। भारतीय सभ्यता हिंदुत्व से अलग नहीं है।

इस आयोजन के जरिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी और प्रधानमंत्री की छवि को चमका रहे हैं। प्रयागराज में अलग-अलग जगहों पर उनके और पीएम के पोस्टर और बिलबोर्ड्स लगे हैं, जिनमें सरकार की लोक कल्याण योजनाओं का जिक्र किया गया है। इस आयोजन से सत्तासीन भाजपा को हिंदू सांस्कृतिक प्रतीकों के प्रचार के इतिहास को और बल मिलेगा।

स्काई न्यूज: स्काई न्यूज ने महाकुंभ में प्रशासन की तैयारियों पर सबसे ज्यादा रिपोर्टिंग की है। इस संस्थान ने बताया कि पहली बार किसी आयोजन में इतने बड़े स्तर पर फेस रिकग्नीशन तकनीक और बायोमेट्रिक पहचान की सहायता ली जा रही है, जिससे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके खो जाने पर उन्हें ढूंढने में आसानी होगी।

मीडिया समूह ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि किस तरह गंगा के पास पानी की गुणवत्ता मापने के लिए प्रणालियां स्थापित की गई हैं, जिससे आयोजन के दौरान गंगा में लोगों का साफ और स्वच्छ पानी से नहाना सुनिश्चित रहे। इसके अलावा एक प्राथमिक 100 बेड और दो 20-20 बेड्स वाले अस्पतालों की स्थापना के बारे में भी बताया गया है।

द गार्डियन: ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने कहा कि इस साल महाकुंभ का आयोजन तादाद और भव्यता में पिछले सभी आयोजनों से ज्यादा बेहतर होने का अनुमान है। यह कुंभ मेले के धार्मिक ही नहीं, बल्कि राजनीतिक महत्व को भी दर्शाता है। भारत और यूपी में सत्तासीन भाजपा के शासन में महाकुंभ का आयोजन और भी खुलकर सामने आता है। इस आयोजन को हमेशा से हिंदू एकता और ताकत का प्रतीक माना जाता रहा है और कई लोग इसे राजनीतिक तौर पर फायदेमंद भी मानते हैं।

द गार्डियन ने बताया है कि किस तरह सरकार ने 40 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैले इस कुंभ आयोजन को सुगम बनाने के लिए बुजुर्गों और जरूरतमंद लोगों के लिए खास इंतजाम किए गए हैं और इसके लिए डिजिटल सेवाओं की मदद ली जा रही है। इनमें एक व्यवस्था कलाई में पहने जाने वाले बैंड की है, जो कि रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए कनेक्ट रहता है और लोगों को खोने से बचाने के लिए दिया जा रहा है।

रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल

फ्रांस के मीडिया समूह रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल (आरएफआई) के मुताबिक, कुंभ का यह आयोजन सिर्फ हिंदू धर्म से जुड़े भारतीयों को ही नहीं, बल्कि विदेशियों को भी आकर्षित करता है। खासकर उन विदेशियों को जो हिंदू धर्म को अपना चुके हैं। आरएफआई ने एक अमेरिकी नागरिक के हवाले से बताया कि कुंभ मेले की अहमियत इसकी अंतरराष्ट्रीय और वैश्विक एकता के संदेश की वजह से ही नहीं, बल्कि आयोजन के दौरान होने वाले आध्यात्मिक अभ्यासों की वजह से भी है, जिससे लोगों को अपने अंदर के सत्य को पहचानने में मदद मिलती है। आरएफआई के मुताबिक, महाकुंभ के दौरान 4000 हेक्टेयर भूमि पर 1,50,000 टेंट और इतने ही टॉयलेट बनाए गए हैं। यह पूरा क्षेत्र अमेरिका के मैनहैटन द्वीप के बराबर का क्षेत्र है।

पाकिस्तान और इस्लामिक देशों में लोग इंटरनेट पर खोज रहे हैं महाकुंभ

पाकिस्तान में लोग इंटरनेट पर महाकुंभ मेले की खासियत जानना चाह रहे हैं। इसके अलवा कई ऐसे इस्लामिक देश हैं जहां महाकुंभ के बारे में जानकारी हासिल की जा रही है।

इस पावन मौके पर सभी अंखाड़ों के नागा साधु एक-एक कर पवित्र संगम में हर-हर गंगे और हर-हर महादेव के जयघोष के साथ डुबकी लगा रहे हैं। वहीं इस शुभ अवसर पर दुनिया के कई देशों के नागरिक और अनुयायी संगम में पवित्र डुबकी लगा रहे हैं।

पाकिस्तान में खूब हो रहा है सर्च

गूगल के ट्रेंड के अनुसार महाकुंभ मेला पाकिस्तान में खूब सर्च किया जा रहा है। इसके अलावा कतर, यूएई और बहरीन में भी महाकुंभ मेले के बारे में लोग जानकारी हासिल कर रहे हैं। इसके अलावा पड़ोसी देश नेपाल के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया में भी गूगल पर महाकुंभ खूब सर्च किया जा रहा है।

लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रतिनिधिमंडल ने भारत और ताजिकिस्तान के राजनयिकों और अधिकारियों के साथ विकासपरक मुद्दों पर चर्चा की

नेपाल में भी ली जा रही है कुंभ की जानकारी

वहीं कनाडा, आयरलैंड और ब्रिटेन के गूगल ट्रेंड पर नजर डालें तो इन देशों में भी महाकुंभ के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए गूगल पर महाकुंभ जमकर सर्च किया जा रहा है।

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