‘मोदी’ उपनाम को लेकर 2019 में दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर आपराधिक मानहानि का दोष सिद्ध हो गया है। सूरत की जिला अदालत ने गुरुवार को राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल जेल की सजा सुनाई।
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हालांकि, कोर्ट ने उनकी सजा को 30 दिन के लिए निलंबित रखा है और 15 हजार के बॉन्ड पर उन्हें जमानत दे दी। कोर्ट ने केरल के वायनाड से सांसद राहुल को आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत दोषी बताया।
एक रिपोर्ट के मुताबिक सूरत की जिला अदालत के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा ने अधिकतम सजा देते हुए यह भी बताया कि क्यों उनपर रहम नहीं किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि यदि राहुल को कम सजा दी गई तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। जज ने कांग्रेस नेता की ओर से दिए गए ‘चौकीदार चोर है’ बयान और सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई चेतावनी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘यदि दोषी को कम सजा दी गई तो यह आम लोगों में गलत संदेश देगा और मानहानि केस का उद्देश्य पूरा नहीं होगा, कोई भी किसी का अपमान करेगा।’
राहुल को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने कहा कि वह अपने बयान को पीएम मोदी, नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चौकसी और अनिल अंबानी तक सीमित रख सकते थे, लेकिन उन्होंने ‘जानबूझकर’ ऐसा बयान दिया जिससे मोदी उपनाम वाले किसी भी व्यक्ति को आहत करता है। यह आपराधिक मानहानि के बराबर है। आदेश में कोर्ट ने कहा कि वह एक सांसद हैं और उनकी ओर से दिए गए बयान का लोगों पर असर होता है।
राहुल के वकील कीर्ति पनवाला ने यह दलील देते हुए कम सजा की गुहार लगाई कि उनका मुवक्किल किसी का अपमान नहीं करना चाहता था। उन्होंने कहा, ‘शिकायतकर्ता को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ और आरोपी को पहले कभी किसी अपराध के लिए दोषी नहीं पाया गया है और ना ही किसी से कभी माफी मांगी है।’ कोर्ट ने इस बात को भी रेखांकित किया है कि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को उसकी टिप्पणी को गलत तरीके से पेश करने को लेकर चेतावनी दी थी।