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विवाह गठबंधन या स्वयं के लिए बंधन!

शादी हमारे समाज के सबसे पवित्र बंधनो में से एक है। हमारी संस्कृति, परम्पराओं और रीति-रिवाज़ो का संगम है। शादी को कई जन्मों का साथ माना जाता है। विवाह का मतलब, पूरी ज़िन्दगी के लिए एक दूसरे के सुख -दुख के साथी बन जाते हैं। सदियों से यही होता रहा है, विवाह हमारे जीवन का अभिन्न अंग माना जाता है।

विवाह को लोग अच्छाई और बुराई के साथ अपनाते आ रहें हैं और सभी शादी के नियमों का पालन करते आ रहे हैं I विवाह, एक स्त्री और पुरुष के रिश्ते की सच्ची मिसाल है। विवाह को लोग एक गठबंधन ही मानते थे और कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी इस गठबंधन को तोड़ना नहीं चाहते थे। पति-पत्नी के रिश्ते को सबसे आदरणीय रिश्ता माना जाता रहा है लेकिन आज परिस्थिति कुछ बदलने सी लगी है। लोग इस गठबंधन को स्वयं के लिए एक बंधन समझने लगे हैं।

इस गठबंधन को लोग स्वयं के लिए बंधन समझकर गांठ बनाने लगे हैं। आज के नई पीढ़ी के बच्चे, पुराने संस्कारों व रिश्तों की अहमियत को भूलते जा रहे हैं। पति-पत्नी के रिश्ते को बोझ की तरह समझने लगे हैं। एक दूसरे की ज़िम्मेदारी उठाने से पीछे हट रहे हैं। पहले सिर्फ पुरुष काम करते थे। महिलाएं घर पर रहती थीं लेकिन आज ज़माना बदल चुका है। सभी स्त्री-पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर साथ काम कर रहे हैं, ऐसे में दोनों को ही अपने दायित्व को समझना चाहिए। घर में भी एक दूसरे का साथ दें, साथ मिलकर घर के काम करें।

जब दोनों बाहर जाओगे तो आने के बाद दोनों थके हुए होंगे इसलिए दोनों को बहुत समझदारी से जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ाना होगा और जब यह चीजें नहीं हो पाती तो घर में कलह होना शुरू हो जाता है। रिश्तो में इतना अहम भरता जा रहा है कि लोग अच्छा, बुरा सोच ही नहीं पाते। पति- पत्नी के रिश्ते के प्यार, समझ ,आपसी तालमेल को लोग अपने से दूर करते जा रहे हैं। धीरे-धीरे लोग शादी के गठबंधन को अपने पांव का बंधन समझने लगे हैं, शादी के नाम से लोग भागने लगे हैं।

अकेले रहना पसंद करने लगे हैं। क्या सच में शादी एक बंधन बनता जा रहा है जिसमें इंसान अपने आप को जकड़ा हुआ महसूस कर रहा है। मेरे ख़्याल से तो नहीं, यदि इस रिश्ते को दोनों समझदारी से निभाने की कोशिश करेंगे तो शादी का यह रिश्ता, जो कि सबसे ख़ूबसूरत रिश्ता है, वह एक प्यार भरा जहाँ बन जाएगा। दोनों को जीवन साथी मिलते हैं। दोनों को पूरी ज़िन्दगी का एक ऐसा साथी मिलता है जो आपको, आपके हर गुण-अवगुण के साथ अपनाता है, आपके ख़ुशी ग़म में हमेशा साथ होता है।

इस रिश्ते की गहराई को समझो। इस रिश्ते के मान-सम्मान, अधिकार, प्रेम, भरोसा, सब कुछ आप से जुड़ जाता है। विवाह का यह गठबंधन जो हमारे लिए, हमारे मालिक ने बनाए हैं उसको प्यार का गठबंधन समझ कर जियेंगे तो यह एक ऐसा प्रेम भरा समंदर है, जिसके मोती कभी खत्म नहीं होते बल्कि दिन रात आपके प्रेम के मोती की चमक बढ़ती जाती है। प्रेम के इन मोतियों को समेट लो बिखरने मत दो।

जिंदगी में अकेले कहां तक चलोगे, थक जाओगे। एक सहारे की ज़रूरत सबको होती है। एक दूसरे का सहारा बनिए, साथ दीजिए, प्रेम दीजिए, देखभाल कीजिये। यह ऐसा रिश्ता है जिससे आपका आशियां खिल जाएगा। आपकी जिंदगी की रौनक़ बढ़ जाएगी। आप अपने आप को मज़बूत और मुकम्मल महसूस करेँगे। रिश्ते तोड़ कर कोई खुश नहीं होता, इसलिए जोड़ने में यक़ीन रखें, तोड़ने में नहीं। पति- पत्नी का रिश्ता कभी पांव की बेड़ी नहीं बनना चाहिए। इस बात का दोनों को ही ख़्याल रखना चाहिए।

जब एक पति-पत्नी का रिश्ता बनता है तो कई लोगों के अरमान, सपने, खुशियां, भरोसा और न जाने किन किन उम्मीदों से जुड़कर यह रिश्ता बनता है। इस रिश्ते की कद्र करें यह गठबंधन ही है, इसे किसी भी प्रकार का बंधन न समझें, ये तो प्रेम का बंधन है I इस रिश्ते को हम-आप अपनी समझ से बेहतर ही नहीं, बेहतरीन बना सकते हैं।

    नाज़रीन अंसारी

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