बसपा प्रमुख मायावती अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं। गुरुवार को लखनऊ में मायावती ने पार्टी के जिलाध्यक्षों और कोआर्डिनेटरों की बैठक ली। बैठक का मुख्य एजेंडा तो निकाय चुनाव की समीक्षा थी लेकिन ज्यादा चर्चा अगले लोकसभा चुनाव को लेकर हुई।
लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए फंड की जरूरत होगी। इस फंड की चिंता मायावती के चेहरे पर साफ नजर आई। मायावती ने नेताओं और कार्यकर्ताओं से साफ कर दिया कि लोकसभा चुनाव के लिए चंदा भी जुटाया जाए। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता चुनावी खर्च के लिए पार्टी को आर्थिक रूप से मजबूत रखने को कभी ना भूलें।
2007 के बाद से बसपा का ग्राफ लगातार गिर रहा है। 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ ही 2012, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में बसपा बुरी तरह हारी है। पिछले विधानसभा चुनाव में तो बसपा को केवल एक सीट मिली थी। वह भी बसपा के कारण नहीं बल्कि उमाशंकर सिंह ने अपनी लोकप्रियता के कारण जीत हासिल की थी।
बसपा प्रमुख मायावती पर अभी तक एक ही आरोप कई बार लगता रहा है। बसपा छोड़ने वाले हर नेता ने मायावती पर टिकट के लिए रुपए लेने का आरोप लगाया है। कई लोगों ने पांच से दस करोड़ की बोली लगाने का भी आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ी है। नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा बसपा की तरफ से ही कैश भी बैंकों में जमा कराया गया था। नोटबंदी के तुरंत बाद हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के लिए बसपा ने फंड की कमी को भी एक बड़ा कारण बताया था।