उत्तर से लेकर दक्षिण तक देश के कई राज्य इन दिनों तेजी से बढ़ती गंभीर संक्रामक बीमारी से परेशान हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तमिलनाडु-केरल से लेकर राजस्थान सहित कई राज्यों में तेजी से मम्प्स वायरस (mumps virus) के कारण होने वाली संक्रामक बीमारी के मामले देखे जा रहे हैं। पैरामाइक्सोवायरस नामक वायरस के समूह के कारण होने वाले इस संक्रामक रोग में पैरोटिड ग्रंथियों में गंभीर और दर्दनाक सूजन हो सकती है। इस संक्रामक रोग के गंभीर दुष्प्रभावों को लेकर भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।
हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मम्प्स वायरस (mumps virus) के मामले अचानक से राजस्थान के कई हिस्सों में बढ़ते हुए देखे गए हैं। जयपुर में इस रोग के गंभीर दुष्प्रभावों की भी खबर है, जहां संक्रमण के शिकार रहे छह लोगों में बहरेपन की समस्या हो गई है। वैसे तो इस वायरल संक्रमण का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर देखा जाता रहा है पर ये वयस्कों को भी अपना शिकार बना सकता है। डॉक्टर्स ने कई शहरों में अलर्ट जारी करते हुए इस संक्रामक रोग से बचाव को लेकर सावधानी बरतने की अपील की है।
तमिलनाडु-केरल में बढ़े केस
दक्षिण के राज्य केरल में फरवरी-मार्च में मम्प्स के मामले तेजी से बढ़ने शुरू हुए थे। मार्च तक की रिपोर्ट के अनुसार कुछ ही महीनों में राज्य में 11 हजार से अधिक केस रिपोर्ट किए गए हैं। इसी तरह तमिलनाडु में मार्च के अंत तक, पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 461 लोगों में संक्रमण की पुष्टि की गई है। तमिलनाडु के कई हिस्सों में मम्प्स के साथ-साथ मेसल्स और चिकनपॉक्स के मामलों में भी बढ़ोतरी रिपोर्ट की गई है।
बच्चों में अधिक देखा जाता है ये संक्रामक रोग
मम्पस सबसे अधिक 2 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रभावित करता है, जिन्हें इसका टीका नहीं मिला है। हालांकि, किशोरों और वयस्कों को भी इसका संक्रमण हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ वर्षों के बाद टीके की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। फिर भी मम्प्स के संक्रमण से बचाव का सबसे अच्छा तरीका वैक्सीनेशन है जो आपको संक्रमण की स्थिति में गंभीर समस्याओं के खतरे को कम करने में सहायक है।