बसपा सुप्रीमो मायावती कहने को तो अखिलेश यादव की मुंहबोली बुआ हैं, लेकिन उन्होंने कभी मुलायम सिंह यादव को अपना भाई नहीं कहा। मायावती भले ही अपने मुंहबोले भाईयों को राखी बांधती रही हों, लेकिन एक इंटरव्यू में उन्होंने कुछ ऐसा कहा था, जिसे सुनकर शायद उनके मुंहबोले भाईयों को झटका जरूर लगा होगा।
तो चलिए जानते हैं कि मायावती ने राखी बांधने को लेकर ऐसा क्या कह दिया था। मायावती के तीन मुंहबोले भाई रहे हैं। रक्षाबंधन पर मायावती करतार सिंह, लालजी टंडन और अभय चौटाला को राखी बांधती रही हैं। हालांकि, दिवंगत लालजी टंडन को बाद में मायावती ने राखी बांधना छोड़ दिया था।
मायावती ने टीवी शो ‘आपकी अदालत’ में राखी बांधने के सवाल पर कहा था कि, वह कभी किसी के घर राखी बांधने नहीं गई हैं। मायावती का कहना था कि यदि कोई उनके घर राखी लेकर आ जाए तो वह उसे भगा तो नहीं सकतीं।
मायावती ने कहा था कि, जो भी उनके घर राखी बंधवाने आता है, वह बांध देती हैं। बता दें कि, मायावती के तीन मुंहबोले भाईयों में से एक भाई यानी लालजी टंडन अब इस दुनिया में नहीं हैं। मायावती ने सबसे पहले लालजी टंडन को साल 2002 में राखी बांधी थी, लेकिन साल 2003 में भाजपा और बसपा का गठबंधन टूटने के बाद दोनों के रिश्तों में दरार आ गई तो उन्होंने लाल जी टंडन को राखी बांधना छोड़ दिया था।
मायावती के सबसे पहले मुंहबोल भाई बसपा सरकार में मंत्री रह चुके करतार सिंह नागर रहे हैं। नागर मायावती के पैतृक गांव बादलपुर के ही रहने वाले हैं और दोनों के बीच पारिवारिक रिश्ते हैं। मायावती नागर को रक्षा बंधन पर राखी भी बांधती हैं। मायावती के तीसरे भाई इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) नेता अभय चौटाला रहे हैं। साल 2018 में बसपा सुप्रीमो ने अपने दिल्ली आवास पर उन्हें राखी बांधी थी।
जब बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की मौत पर फूट-फूट कर रोईं थीं मायावती
बावजूद इसके बसपा सुप्रीमो मायावती ने भले ही 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा के हराने के लिए अपने धुर विरोधी रहे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव से हाथ मिला लिया था। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब मायावती ने बीजेपी प्रत्याशी ब्रह्मदत्त द्विवेदी की पत्नी के लिए उनकी सीट से बसपा का कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था। क्यों? आइए जानते हैं।
मायावती राजनैतिक ही नहीं, व्यक्तिगत तौर पर भी सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की विरोधी रही हैं। मुलायम से उनका मन-भेद ‘गेस्ट हाउस कांड’ के बाद हुआ था। 2 जून 1995 में गेस्टहाउस कांड के दौरान बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने मायावती की उस समय रक्षा की थी जब वह गेस्ट हाउस में फंसी थीं। यही अहसान मायावती ब्रह्मदत्त द्विवेदी का मानती रही थीं। बता दें कि, बीएसपी प्रमुख कांशीराम के कहने पर मायावती ने लखनऊ गेस्ट हाउस में पार्टी के विधायकों की बैठक बुलाई थी और वह सपा से गठबंधन तोड़ने वाली थीं। तभी भारी संख्या में सपा कार्यकर्ता वहां पहुंच गए थे और मारपीट शुरू हो गई थी।
मायावती ने खुद को बचाने के लिए एक कमरे में बंद कर लिया था। उस समय बहन जी की मदद के लिए पुलिस अफसर भी नहीं पहुंच सके थे, लेकिन फर्रुखाबाद से बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी सूचना मिलते ही मायावती की जान बचाने पहुंच गए थे। मायावती ने कई बार इस घटना का जिक्र किया था कि जब वह मुसीबत में थीं तब ब्रह्मद्त्त भाई ने ही उनकी जान बचाई थी। इस अहसान को मायावती ही नहीं उनके कार्यकर्ता भी मानते थे। 2007 में जब मायावती ने अनंत कुमार मिश्रा को फर्रुखाबाद से चुनाव लड़वाया तो उस समय मायावती के सबसे खास सतीश मिश्रा ने चुनावी रैली में भी ब्रह्मदत्त द्विवेदी का शुक्रिया अदा कर कहा थ्रा कि बसपा उनकी अहसानमंद रहेगी।
बता दें कि साल 1998 में जब ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्या हुई थी तब मायावती उनके घर गई थीं और वहां फूट-फूटकर रो पड़ी थीं। बीजेपी ने जब ब्रह्मदत्त द्विवेदी की पत्नी को चुनाव में खड़ा किया था तब मायावती ने उस सीट से बसपा का कोई प्रत्याशी तक नहीं उतारा था। मायावती ने ब्रह्मदत्त की पत्नी के लिए अपनी पार्टी के लोगों से उनका समर्थन करने की अपील की थी और खुद मायावती ने अपील कर कहा कि मेरे भाई की विधवा को वोट करें।