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फाइलेरिया रोगियों की समस्याओं से अवगत कराने को दिया ज्ञापन

फाइलेरिया से दिव्यांग हुए लोगों को भी मिले सरकारी योजनाओं का लाभ
दिव्यांगता प्रमाण पत्र न मिलने से फाइलेरिया रोगी मायूस

कानपुर। विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर फाइलेरिया सपोर्ट ग्रुप के सदस्यों ने सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सी-फार) संस्था के सहयोग से दिव्यांग कल्याण अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन के माध्यम से फाइलेरिया से ग्रसित और दिव्यांग हुए लोगों के लिए सरकार से सहयोग की मांग की गई।

फाइलेरिया रोगियों की मदद के लिए बने समूह के सदस्यों की ओर से दिव्यांग कल्याण अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। जिले के कल्याणपुर ब्लॉक के ग्राम कटरा भैसौर के गौरीशंकर सपोर्ट ग्रुप के सदस्य रघुवीर और सुशील ने ज्ञापन के माध्यम से फाइलेरिया रोगियों का दर्द साझा किया। कानपुर के घाटमपुर तहसील के ग्राम भदरस निवासी 70 वर्षीय मुल्लू ने कहा कि वह पिछले 25 वर्षों से हाइड्रोसील से पीड़ित हैं। उनके अंडकोष का वजन करीब 10 किलोग्राम हो गया है, जिससे उनका उठना-बैठना और चलना-फिरना मुश्किल हो गया है। यहाँ तक कि मजबूरी में शौच क्रिया भी खड़े होकर करनी पड़ती है। अगर सरकारी योजना के तहत उन्हें ट्राई साइकिल मिल जाती और कमोड वाले शौचालय की व्यवस्था हो जाती तो उनका जीवन कुछ आसान बन जाता।

कानपुर के घाटमपुर तहसील के भदरस गाँव की ही 60 वर्षीया रामवती का भी कहना है कि वह पिछले 25 वर्षों से पैरों की सूजन (फाइलेरिया) से ग्रसित हैं, आपरेशन भी कराया लेकिन पैर की सूजन और बढ़ गई। पैर का वजन अब 20 किलो के करीब हो गया है। कमोड वाले शौचालय की व्यवस्था हो जाती तो उनका जीवन कुछ आसान बन जाता। सरकार से मांग है कि उनके जीवनयापन के लिए कोई आर्थिक मदद की जाए या किसी योजना से जोड़कर उनकी कमाई की कोई व्यवस्था की जाए। दिव्यांगता प्रमाणपत्र न मिल पाने से इन लोगों में मायूसी भी है।

दरअसल फाइलेरिया एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जो व्यक्ति को पूरी तरह से या फिर आंशिक रूप से अपंग अथवा दिव्यांग बना देती है। कई बार तो यह बीमारी इस कदर अपना असर दिखाती है कि व्यक्ति के लिए दैनिक क्रियाएं और रोजमर्रा के काम करना भी मुश्किल हो जाता है और पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हो जाता है। हर साल तीन दिसम्बर को विश्व दिव्यांग दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उदेश्य दिव्यांगों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना और उनको अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। इसी दिवस पर फाइलेरिया से दिव्यांग हुए लोगों की भी मांग है कि उन्हें भी अन्य श्रेणी के दिव्यांगों की तरह सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाए।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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