भारत के पर्व आस्था मात्र नहीं है। बल्कि प्रकृति,स्वास्थ्य और सामाजिक बोध के जुड़े हुए है। इनमें समरसता व उत्साह का सन्देश समाहित होता है। इनके विविध रूप भी अद्भुत होते है। एक ही भावभूमि पर होने के बाद भी इनके रंग रूप स्वरूप भिन्न हो सकते है। इस प्रकार अनेकता में एकता का उद्घोष भी साथ साथ चलता है।
वर्तमान सरकार ने इन पर्वों एवं त्योहारों को विशिष्ट तौर से आयोजित कर दुनिया के समक्ष यूनीक इवेण्ट के रूप में प्रस्तुत किया है। यह व्यापक श्रृंखला के हिस्से हैं। प्रकृति के साथ अपना समन्वय स्थापित करने के साथ ही अपनी परम्परा और आध्यात्मिक विरासत को भी अक्षुण्ण बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। मकर संक्रांति भी ऐसा ही पर्व है। भारतीय चिंतन में स्नान पर्व समरसता, पर्यावरण और वैचारिक चेतना का बोध कराते थे। मकर संक्रांति व कुम्भ आदि की परंपरा इसी विचार को आगे बढ़ाती है। भारतीय जीवन शैली में पर्यावरण चेतना सहज स्वभाविक रूप में प्रवाहित होती है। यह धार्मिक स्नान मात्र नहीं होता। यह नदियों के प्रति सम्मान भाव को जाग्रत करता है। नदियां अविरल निर्मल होंगी तभी मानवजीवन का कल्याण होगा,उसका भविष्य सुनिश्चित रहेगा। इसी तरह वन,वृक्ष,पर्वत सभी को सम्मान दिया गया। सभी के संरक्षण संवर्धन को धर्म से जोड़ा गया। हमारे ऋषि त्रिकाल दर्शी थे। वह जानते थे कि एक सीमा से अधिक प्रकृति का दोहन मानव के लिए घातक होगा।
इसलिए उन्होंने न्यूनतम उपभोग का सिद्धांत दिया। लेकिन पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव प्रकृति का बेहिसाब दोहन किया। प्रकृति कुपित हो रही है। मानवता के सामने संकट है। इससे बाहर निकलने का उनके पास कोई सिद्धांत विचार नहीं है। इनकी नजर भारत की ओर लगी है। इस भूमिका के लिए पहले भारत को तैयार होना पड़ेगा। पहले उसे अपनी विरासत को पहचानना होगा। उसके अनुरूप आचरण करना होगा। पिछले प्रयागराज कुंभ के पहले वैचारिक कुंभों का आयोजन किया गया था। इससे भारतीय चिंतन के अनुरूप गौरव का माहौल बना था। उस समय प्रदेश में पांच वैचारिक कुंभ आयोजित किये गए थे। काशी में पर्यावरण कुंभ,वृंदावन में मातृ शक्ति कुंभ, लखनऊ में युवा कुंभ, अयोध्या में सामाजिक समरसता कुंभ और प्रयाग में नेत्र कुंभ। पर्यावरण कुंभ में कार्बन, पेयजल संकट,उर्वरा शक्ति पर संकट,वायु एवं जल प्रदूषण सहित भूमिगत जल में तेजी से हो रही गिरावट पर विचार विमर्श किया गया था। यह पर्यावरण और भारतीय जीवन शैली, उपभोक्ता और पर्यावरण की चुनौतियां, कृषि एवं पर्यावरण और ऊर्जा एवं जल विषय पर आधारित थे। विकास में ही पर्यावरण समृद्धि पर विस्तृत विचार विमर्श हुआ।
इस बार मकर संक्रांति पर भी समरसता के साथ साथ स्वास्थ्य को भी स्थान दिया गया। मकर संक्रांति पर्व के केंद्र में सूर्य देव है। इससे प्रेरणा लेकर इस बार मकर संक्रांति पर वृहत स्तर पर सूर्य नमस्कार का आयोजन किया गया। कोरोना के कारण दोनों कार्यकम सीमित रखे गए। लेकिन समरसता व सूर्य नमस्कार दोनों का एक साथ सन्देश दिया गया। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री होने के साथ ही गोरक्ष पीठाधीश्वर है। उन्होंने समाजसेवा व सन्यास में विलक्षण समन्वय किया है। मुख्यमंत्री के दायित्व निर्वाह में वह कोई कसर नहीं छोड़ते। विशेष पर्वों पर वह पीठाधीश्वर के रूप में भी दायित्व निर्वाह के लिए गोरखपुर पहुंचते है। मकर संक्रांति के अवसर पर गुरु गोरक्षनाथ को सबसे पहली खिचड़ी गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ चढ़ाते हैं। इस परंपरा के निर्वाह हेतु योगी आदित्यनाथ गोरखपुर पहुंचे। उन्होंने दलित परिवार के यहां खिचड़ी खाई।
योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के मानबेला की पीरु शहीद दलित बस्ती पहुंचे। यहां उन्होंने बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता अमृत लाल के घर खाना खाया। इसके बाद अमृत लात के परिवार ने मुख्यमंत्री योगी को बाबा साहेब अम्बेडकर और भगवान बुद्ध के चित्र के रूप में स्मृति चिन्ह दिया। अमृत लाल तीस साल से गोरखनाथ मंदिर से भी जुड़े हुए हैं। वहीं किसी दलित के घर खाना खाने की यह परंपरा मठ में चालीस साल से चली आ रही है। योगी आदित्यनाथ के गुरू महंत अवैद्यनाथ भी इस परंपरा को निभाते थे। समरसता कार्यक्रम के अंतर्गत भी भाजपा ने सत्ताईस हजार केंद्रों पर होगा खिचड़ी सहभोज आयोजन किया गया था। योगी आदित्यनाथ ने यहां कहा कि सत्ताईस हजार शक्ति केंद्रों पर खिचड़ी भोज के साथ जुड़ने का कार्य किया गया। यह समाजिक समता का सह भोज है। उन्होंने कहा कि किसी दलित बस्ती में जाकर सह भोज और विभिन्न योजनाओं के बारे में चर्चा करना हमारा लक्ष्य है। यह कार्यक्रम पहले बड़े स्तर पर होना था, लेकिन कोरोना को ध्यान रखते हुए सभी कार्यकर्ताओं को इसके साथ सहभागी नहीं बनाया गया है। योगी आदित्यनाथ ने गरीबों के हित व सामाजिक समरसता संबन्धी कार्यों का उल्लेख किया। कहा कि सरकार ने कोरोना कालखंड के दौरान साढ़े तीन करोड़ कामगार और श्रमिकों को भरण पोषण भत्ता सहित दो लाख रुपए की सामाजिक सुरक्षा व पांच लाख रुपए का सालाना स्वास्थ्य कवर दिया। पन्द्रह करोड़ लोगों को फ्री राशन की सुविधा दी जा रही है।
प्रदेश के एक करोड़ युवाओं को टेबलेट स्मार्ट फोन और साढ़े चार लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी दी गई है। एक करोड़ इकसठ लाख नौजवानों को निजी क्षेत्र में नौकरी व रोजगार व साठ लाख लोगों को एमएसएमई के माध्यम से राजगार उपलब्ध कराया गया। गरीबों, दलितों, पिछड़े, महिलाओं और युवाओं को मिलने वाली सुविधा को पहले परिवार वादी व वंशवादी राजनीति करने वाले हड़प जाते थे। अब यही पैसा माफियाओं के कैद से जेसीबी और बुलडोजर से निकाला जा रहा है।
वर्तमान केंद्र व प्रदेश सरकार में बिना भेदभाव के हर गरीब किसान, नौजवान, महिलाओं समेत विभिन्न वर्गों को योजनाओं का लाभ दिया है। दो करोड़ इकसठ लाख गरीबों के घर में शौचालय बन गए हैं। पैंतालीस लाख गरीब परिवारों को आवास उपलब्ध कराए गए।भारत विभिन्न त्योहार जीवंत भारतीय सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं। मकर संक्रांति प्रकृति के पूजन से जुड़ा उत्सव है। प्रकृति से जुड़ना स्वास्थ्य वर्धक होता है। इस के दृष्टिगत योग का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अगले चरण के रूप में देखा जा सकता है। कोरोना के कारण आयोजन का स्वरूप अलग था। वर्चुअल सूर्य नमस्कार कार्यक्रम का मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग प्रतिष्ठान से लाइव प्रसारण किया गया। इसमें विश्वभर में योगाभ्यास करने वाले इसमें सहभागी हुए।
वर्चुअल कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी सूर्य नमस्कार के तेरह राउंड किये। प्रत्येक राउंड में बारह आसान किए गए। सूर्य नमस्कार एक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित स्वास्थ्य व्यायाम है। इस व्यायाम को करने से शरीर तथा मन का पूरा विकास होता है। मकर संक्रांति इसके लिए उपयुक्त अवसर था इस दिन स्वास्थ्य एवं मन के विकास के उद्देश्य से सूर्य नमस्कार की जीवनशक्ति संबंधित जागरुकता बढ़ाने के लिए ही इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सर्वदानन्द सोनवाल ने कहा कि यह कार्यक्रम भारत की समृद्ध तथा स्वस्थ जीवन के बारे में विश्ववासियों को अधिक प्रभावित करेगा। दुनिया भर में एक साथ आयोजित हुए इस कार्यक्रम में पचहत्तर लाख लोगों ने भाग लिया। मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्य नमस्कार के कार्यक्रम का आयोजन अति महत्वपूर्ण है। यह योग आसन महामारी में स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। सूर्य नमस्कार सूर्य की प्रत्येक किरण के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए सूर्य को प्रणाम के रूप में किया जाता है।क्योंकि वह सभी जीवों का पोषण करता है। सूर्य नमस्कार को प्रतिरक्षा विकसित करने और जीवन शक्ति में सुधार करने के लिए जाना जाता है, जो महामारी की आज की इस स्थिति में लोगों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। सूर्य के संपर्क में आने से मानव शरीर को विटामिन डी मिलता है, जिसे दुनिया भर की सभी चिकित्सा शाखाओं में व्यापक रूप से मान्यता मिली है।
मकर संक्रांति पर गोरखपुर रवाना होने से पहले योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में माघ स्नान व्यवस्था की समीक्षा की थी। उन्होंने कहा था कि कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए वर्तमान परिस्थितियों में प्रत्येक स्तर पर विशेष सावधानी और सतर्कता बरतना जरूरी है। इसके दृष्टिगत उन्होंने जनपद प्रयागराज में मकर संक्रांति के स्नान पर्व पर बुखार,जुक़ाम अथवा गला खराब जैसे कोविड लक्षणयुक्त व्यक्तियों एवं कोरोना टीके की दोनों डोज न लेने वाले श्रद्धालुओं से इस आयोजन में सम्मिलित न होने की अपील की थी। प्रदेश सरकार कोविड प्रोटोकॉल का पूर्ण पालन कराते हुए यह पर्व सुरक्षित रूप से सम्पन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा व्यापक प्रबन्ध किए गए हैं। राज्य सरकार के इन प्रयासों में सभी का सहयोग आवश्यक है। स्नान के लिए केवल स्वस्थ व्यक्ति ही आएं। अधिक आयु वाले लोग, कोमॉर्बिड व्यक्ति तथा बच्चे न आएं। माघ मेले में कल्पवास करने वाले श्रद्धालु स्नान के लिए निर्धारित समय पर ही स्नान सम्पन्न करें। कल्पवासियों की कोरोना जांच के लिए रैपिड टेस्ट की व्यवस्था की गई है।
इसके अलावा प्रदेश के सभी जनपदों में तीन दिवसीय प्रवास के लिए नोडल अधिकारियों को भेजने तथा इन अधिकारियों द्वारा जनपद भ्रमण के दौरान कोरोना टेस्टिंग, वैक्सीनेशन, अस्पतालों की व्यवस्थाओं व रैन बसेरों के इन्तजाम का निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे। समस्त नोडल अधिकारियों को दिशा निर्देश दिये गये। कहा गया कि नोडल अधिकारी नियंत्रण एवं बचाव आदि की व्यवस्थाओं की समीक्षा एवं निरीक्षण करेंगे। स्वास्थ्य विभाग तथा कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग को आख्या उपलब्ध कराएंगे। जनपद प्रवास के दौरान जिलाधिकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी से समन्वय स्थापित करते हुए विभिन्न बिन्दुओं पर समीक्षा करने के उपरान्त दैनिक आख्या भी प्रेषित करेंगे। नोडल अधिकारियों को कोरोना लक्षणयुक्त व्यक्तियों के होम आइसोलेशन में उपचार,उनकी निरन्तर मॉनीटरिंग तथा इन व्यक्तियों के साथ चिकित्सकों के संवाद की समीक्षा करने के निर्देश भी दिये गये हैं।
नोडल अधिकारी प्रत्येक कोविड पॉजिटिव व्यक्ति को मेडिसिन किट की उपलब्धता,कोविड के उपचार में उपयोगी जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता, आईसीसीसी में चिकित्सकों का पैनल तैनात करते हुए जरूरतमन्दों को टेलीकंसल्टेशन की सुविधा तथा टेलीकंसल्टेशन के लिए अलग से जारी किये गये टेलीफोन नम्बर के सम्बन्ध में भी समीक्षा करने के निर्देश दिये गये हैं। आवंटित जनपद में नोडल अधिकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लाण्ट, उनकी क्रियाशीलता, ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर, वेन्टिलेटर,आईसीयू बेड, आइसोलेशन बेड, एम्बुलेंस,दवाओं आदि की उपलब्धता को भी परखेंगे। जाहिर है कि योगी आदित्यनाथ मकरसंक्रांति पर्व के अवसर पर भी अपने दायित्व के प्रति पूरी तरह सजग थे। गोरखपुर में प्रवास के दौरान भी वह प्रदेश में कोरोना प्रबंधन की जानकारी व फीडबैक ले रहे थे।