अपोलो-11 मिशन को चांद पर सफलतापूर्वक उतारने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री माइकल कॉलिंस का निधन हो गया। माइकल कॉलिंस की उम्र 90 साल थी और पूरी दुनिया उन्हें अपोलो-11 मिशन के लिए ही जानती थी। बता दें कि अपोलो-11 मिशन के चांद पर उतरने के बाद ही नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चांद की सतह पर पहला कदम रखा था और इसके बाद बज एल्ड्रिन उतरे थे।
माइकल कॉलिंस का एकमात्र उद्देश्य यही था कि सफलतापूर्वक अपोलो-11 को चांद की सतह पर उतारें और इसके बाद नील और बज को लेकर वापस धरती पर आ सकें। अपोलो-11 से निकलकर चांद तक जिस मॉड्यूल में नील और बज गए थे, उसका नाम द ईगल था। बता दें कि तीनों के लिए चांद की यात्रा आसान नहीं थी।
यात्रा शुरू होते ही धरती से रेडियो संपर्क टूट गया, इसके बाद कंप्यूटर में ग्लिच आ गया और द ईगल में ईंधन की कमी भी हो गई। इस मिशन को पूरा करने के लिए 40 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी मेहनत और समय का योगदान दिया था। माइकल कॉलिंस के निधन पर नासा एक्टिंग एडमिनिस्ट्रेटर स्टीव जुरसिक ने कहा कि आज दुनिया ने एक सच्चा अंतरिक्ष यात्री खो दिया।
एक तरफ जहां इनके दोनों साथी चांद पर चहलकदमी कर रहे थे तो वहीं माइकल कॉलिंस यान के साथ चांद का चक्कर लगा रहे थे। स्टीव का कहना है कि माइकल कॉलिंस की वजह से ही नील और बज सुरक्षित धरती पर वापस आए थे। माइकल कॉलिंस के पोते का बयान आया कि उनके दादाजी ने बहादुरी से कैंसर के खिलाफ जंग लड़ी लेकिन अंत में हार गए।
नील आर्मस्ट्रॉन्ग, माइकल कॉलिंस को लेकर यही कहा करते थे कि माइकल ने चांद के चारों ओर चक्कर लगाकर हमारा खूब मनोरंजन किया। नील बताते थे कि माइकल के पास हमारे बचाव और मुसीबतों को टालने के लिए एक 117 पेजों की डायरी थी।