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फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के लिए प्रदान की गयी एमएमडीपी किट

• कठवारा पीएचसी पर फाइलेरिया मरीजों का रुग्णता प्रबंधन व दिव्यांगता प्रबंधन पर अभिमुखीकरण

लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में बृहस्पतिवार को बक्शी का तालाब ब्लॉक के कठवारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर फाइलेरिया मरीजों का रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता प्रबंधन (एमएमडीपी) पर अभिमुखीकरण किया गया। इस मौके पर 122 फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट भी प्रदान की गयी।

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इस मौके पर बक्शी का तालाब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के अधीक्षक डा. जेपी सिंह ने कहा कि फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के लिए एमएमडीपी किट दी गई है। किट में टब, मग, तौलिया और साबुन आदि शामिल हैं। फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल में इस किट का उपयोग करने की सलाह दी गयी है। इसके साथ ही नियमित व्यायाम करने और प्रभावित अंगों की साफ- सफाई करने के बारे में भी बताया गया। मरीजों से कहा गया कि बहुत अधिक देर तक पैर लटकाकर न रहें।

डा. सिंह ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी ठीक नहीं हो सकती है, इसलिए प्रबंधन से ही इसको नियंत्रित किया जा सकता है। कठवारा पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. अवधेश कुमार ने कहा कि आगामी 10 फरवरी से #फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने का अभियान (आईडीए) चलाया जाएगा। इसके तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर तीन प्रकार की दवा खिलाएंगी। दवा का सेवन जरूर करें और घर के सदस्यों और आस-पास के लोगों को भी दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित करें। लगातार तीन साल तक साल में एक बार दवा खाने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। दो साल से कम आयु के छोटे बच्चों, गर्भवती और अतिगंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को इस दवा का सेवन नहीं करना है।

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उचित देखभाल न करने से फाइलेरिया रोगी दिव्यांग हो सकता है और व्यक्ति का जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो सकता है। यह बीमारी ठीक तो नहीं हो सकती है, केवल प्रबंधन ही हो सकता है। इसलिए साल में एक बार आशा कार्यकर्ता जब फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने घर पर आयें तो उनके सामने ही इस दवा का जरूर सेवन करें।

इस मौके पर पहले से प्रभावित अंगों की देखभाल और व्यायाम की प्रक्रिया को सीख चुके फाइलेरिया रोगी नेटवर्क सपोर्ट ग्रुप के 97 सदस्य उपस्थित रहे। इन्हीं में से चंद्रिका मैया समूह की सदस्य कठवारा निवासी 42 वर्षीया छुटकन्नी का कहना है कि समूह से जुड़ने के बाद हमें व्यायाम और साफ सफाई के बारे में बताया गया, उससे हमारे पैर में सूजन खत्म हो गई है। आज मुझे जो किट मिली है उस किट में मिले सामानों का मैं अपने पैरों को साफ करने में उपयोग करूंगी । मुझे और सहूलियत हो गई है।

इस किट को पाकर मैं बहुत ही खुश हूँ। लोगों से यही अपील है कि आशा दीदी जब भी फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने आएं तो जरूर खाएं ताकि फाइलेरिया बीमारी न हो। इस मौके पर स्टाफ नर्स ज्योति, सीनियर मलेरिया इंस्पेक्टर मधुप लाल, फार्मासिस्ट आशुतोष, सत्येंद्र सिंह, सीएचसी और पीएचसी के कर्मचारी, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) की प्रतिनिधि और फाइलेरिया मरीज मौजूद रहे।

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