देश में दिनों दिन मोबाइल फोन यूजर की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में सेलुलर कंपनियों के बीच यूजर तक अपना दायरा बढ़ाने की गलाकाट प्रतिस्पर्धा है. कंपनियां चाहती हैं कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा यूजर्स मिलें. इसके लिए सिग्नल दुरुस्त करना होगा और यह काम तभी होगा जब ज्यादा और पावरफुल मोबाइल टावर होंगे. टावर लगाने के लिए जगह की जरूरत होगी जिसे कंपनियां आम लोगों से ही हासिल करेंगी. ऐसे में मोबाइल टावर लगाने का धंधा मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है.
सेलुलर कंपनियों का ध्यान देश के दूर-दराज इलाके तक है ताकि वे अपना बाजार बढ़ा सकें. इसके लिए कंपनियां प्रॉपर्टी मालिकों से बराबर संपर्क करती हैं, उनसे बात करती हैं और सस्ते सौदे के लिए पटाती हैं. सौदा तय होने पर रिहायशी, कॉमर्शियल या खाली पड़ी जमीन पर टावर लगाए जाते हैं. इसके लिए कंपनियां मालिकों को अच्छी खासी रकम चुकाती हैं. यह रकम कुछ हजार से लेकर लाख तक में होती है. यह रकम स्थान की उपलब्धता और उसकी कैटगरी के लिहाज से तय होती है.
कितनी होती है कमाई
99acres.com के एक आंकड़े के मुताबिक, मोबाइल टावर से हर महीने होने वाली कमाई 8 हजार रुपये से लेकर 1 लाख तक हो सकती है. मुंबई और दिल्ली जैसे मेट्रो सिटी में यह रेंट कई लाख तक जा सकता है. हालांकि मंथली इनकम प्रॉपर्टी की ऊंचाई, आकार, क्षेत्रफल के हिसाब से घटती-बढ़ती है. उदाहरण के लिए सेलुलर कंपनियां जंगल और सार्वजनिक इलाके को रिहायशी इलाके की तुलना में ज्यादा तरजीह देती हैं. रिहायशी इलाके में चोरी, स्वास्थ्य की समस्या या मुकदमे के डर के चलते रेंट घट जाता है. इसकी तुलना में जंगल और खाली पड़ी जमीन जो आबादी से दूर हो, उस पर ज्यादा किराया मिलता है.
कैसे होता है एग्रीमेंट
इसके लिए मोबाइल टावर का एग्रीमेंट होता है जो जमीन मालिक और सेलुलर कंपनियों के बीच होता है. यह एग्रीमेंट 12 महीने से लेकर कई साल के लिए हो सकता है. फायदा देखते हुए कंपनियां एग्रीमेंट की मियाद को बढ़ा भी सकती हैं. जिस जमीन पर मोबाइल के टावर लगते हैं, उसकी कीमत बढ़ जाती है क्योंकि अन्य कंपनियां उसे उपयुक्त मानती हैं. ऐसा देखा जाता है कि जिस जमीन पर मोबाइल टावर लगते हैं, उसकी कीमत सामान्य जमीन से 10-15 परसेंट ज्यादा होती है.
टावर लगाने की खामियां
हालांकि कमाई के अलावा मोबाइल टावर लगाने की कुछ खामियां भी हैं. अमेरिकन कैंसर सोसायटी के मुताबिक मोबाइल टावर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ा सकते हैं. इन परेशानियों में सिरदर्द, मेमोरी लॉस, जन्मजात विकलांगता और कार्डियोवास्कुलर स्ट्रेस शामिल हैं. मोबाइल टावर नॉन आयोनाइजिंग और हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी वेव रिलीज करते हैं जिससे कैंसर का भी खतरा बताया जाता है. हालांकि कैंसर पर जारी कई रिपोर्ट इससे इनकार करते हैं वेव को कैंसर का कारक नहीं माना जाता है. स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को देखते हुए रिहायशी इलाकों में मोबाइल टावर लगाने का भारी विरोध देखा जाता है. इससे सिग्नल में रुकावट की समस्या देखी जाती है.
कंपनियों से ऐसे करें संपर्क
मोबाइल टावर लगाने के लिए लोगों को मोबाइल कंपनियों से सीधा संपर्क करना होता है. इसके लिए सबसे अच्छा जरिया ऑनलाइन है जिसके माध्यम से आवेदन किया जा सकता है. इंडस टावर, ब्योम आरआईटीएल, भारती इंफ्राटेल और अमेरिकन टावर कॉरपोरेशन इस काम को ऑनलाइन करते हैं. ये कंपनियां दुनिया के कई देशों में मोबाइल टावर लगाने का काम करती हैं. अगर आप टावर लगाने के इच्छुक हैं तो टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की वेबसाइट देख सकते हैं जहां टावर लगाने वाली कंपनियों के बारे में जानकारी दी जाती है. ऑनलाइन आवेदन में कंपनियों से अपनी इच्छा जाहिर की जा सकती है. बाद में कंपनियां अपनी जरूरत के मुताबिक आपसे संपर्क कर सकती हैं.