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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से- होली म आपसी भाईचारा, नेह बढ़य क चही

चतुरी चाचा ने ककुवा की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- ककुवा, आप केरी चिंता जायज हय। होली प आधुनिकता चढ़ि रही हय। आजु कय पीढ़ी खाली अपने घर-परिवार, इष्ट-मित्र अउ फूफा, जीजा, साले, साड़ू क घरय होली मिलय जात हय। पहिले गांव-जवार म घर-घर होली मिली जात रही।

नागेन्द्र सिंह चौहान

ककुवा ने प्रपंच की शुरुआत करते हुए कहा- “भइय्या अब तौ होली क त्योहार सिमटतय जाय रहा। गांवन म फाग गवैया विलुप्त होत जाय रहे। इने-गिने गांवन म फगुवा टोली बची हयँ। पहिले बसन्त पंचमी ते होलिका-दहन तलक रोज ढोलक, झाँझ, खनझड़ी अऊर मंजीरे क थाप पय होली गीत गाये जात रहयं। होली-मिलन क पहिले पूरे गांव म होलिहारन क मंडली गावत-नाचत घूमत रहय। गांव क सगरी गलियां रंग ते नहाय जाती रहयं। गांव म सगरे लरिका-बिटिया उलर-कूद करत रहयं। बुढ़वा जवान होय जात रहयं। होली क खुमार अइस चढ़त रहय कि चाचिव भउजी नजर अवती रहयं। सगरा गांव एकरस होय जात रहय। अब तौ सब जने अपने-अपने म खोये हयँ। होली क नाम पय लकीर क फकीर पीटी जाय रही बस।”

चतुरी चाचा आज बड़े इत्मीनान से अपने चबूतरे पर बैठे थे। पुरई अपने गांव होली मनाने चले गए थे। उनका कार्य भार रामू संभाले थे। आज मौसम में उमस थी। गांव के बच्चे होली-मिलन में मस्त थे। ककुवा, कासिम चचा, मुंशीजी और बड़के दद्दा आपस में खुसुर-पुसुर कर रहे थे। मेरे चबूतरे पर पहुंचते ही ककुवा ने प्रपंच का आगाज कर दिया। ककुवा का कहना था कि होली का त्योहार अब फीका हो गया है। होली की पुरानी रौनक अब दिखाई नहीं देती है। सारी पुरानी परंपरा मिटती जा रही है। होली गायन और होलिहारों की मंडली भी विलुप्त होती जा रही हैं। घर-घर होली मिलन बन्द होता जा रहा है। नई पीढ़ी होली में डीजे पर नाचती है। होली मिलन समारोह में आर्केस्ट्रा पर अश्लील नृत्य होते हैं। होली में भांग और शराब का बोलबाला हो गया है।

चतुरी चाचा ने ककुवा की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- ककुवा, आप केरी चिंता जायज हय। होली प आधुनिकता चढ़ि रही हय। आजु कय पीढ़ी खाली अपने घर-परिवार, इष्ट-मित्र अउ फूफा, जीजा, साले, साड़ू क घरय होली मिलय जात हय। पहिले गांव-जवार म घर-घर होली मिली जात रही।

होली-मिलन जात-धरम ते लकीर मिटावत रहय। लोग राह म अजनबियूक गले मिलत रहयं। गांवन म होली क दिन कयू घरन केरी रंजिश मिटि जात रहय। लोग आपसी बैर भूलिक एक-दुसरे क घरय होली मिलय जात रहयं। अब सब बदलत जाय रहा। होलिव म संकीर्णता घुसि गय। यह बाति कौनिव तिना ते ठीक नाइ हय।

होली त्योहार व्यक्तिगत, सामूहिक सफाई क साथे मानसिक सफाई क मऊका देत हय। होली म आपसी भाईचारा, नेह बढ़य क चही। पुरानी परंपरा क जीवित राखय क चही।

इसी बीच चंदू बिटिया जलपान लेकर आ गई। आज जलपान में आलू की गर्मागर्मा कचौड़ियां, गुझिया, आलू के चिप्स, पापड़ और कुल्हड़ वाली स्पेशल चाय थी। जलपान के बाद प्रपंच आगे बढ़ा।

इस फ़िल्म के निर्माता विवेक अग्निहोत्री को जान से मारने की धमकी मिली है।

मुंशीजी ने विषय परिवर्तन करते हुए बताया- आजकल ‘द कश्मीर फाइल्स’ फ़िल्म को लेकर पूरे देश में हाय-हाय मची है। इस फिल्म को भाजपा खेमा खूब प्रमोट कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी तक इस फिल्म की तारीफ़ कर चुके हैं। वहीं, विपक्षी दल इस फ़िल्म को लेकर बड़े असहज हैं। कुछ तो इसकी खुलकर बुराई कर रहे हैं। देश के तमाम सिनेमा घरों ने इस फ़िल्म को दिखाने से मना कर दिया। जबकि, कुछ राज्यों में फ़िल्म के कुछ अंश काट कर दिखाया जा रहा है। इस फ़िल्म के निर्माता विवेक अग्निहोत्री को जान से मारने की धमकी मिली है।

इसी के बाद केन्द्र सरकार ने विवेक को वाई श्रेणी की सुरक्षा दे दी है। मैं पांच दिन पहले इस पिक्चर को देखने शहर गया था। द कश्मीर फाइल्स में कश्मीरी पंडितों के साथ 1990 में किये गए घोर अत्याचार को दिखाया गया है। इस दर्दनाक, शर्मनाक अत्याचार को देखकर रोएं खड़े हो जाते हैं। फ़िल्म के दौरान कई ऐसे मौके आते हैं, जब पूरा सिनेमा घर सिसकने पर मजबूर हो जाता है। मेरी आंखें भी तीन-चार बार नम हो गई थीं।

बड़के दद्दा ने मुंशीजी की हां में हां मिलाते हुए कहा- मैं भी यह पिक्चर देख चुका हूं। मैं तो कहता हूं कि हर भारत वासी को यह फ़िल्म देखनी चाहिए। आज 32 साल बाद कश्मीर घाटी में मुस्लिम आतंकवाद का नंगा सच सामने आया है। इसी के साथ कांग्रेस की हकीकत भी बेपर्दा हो गयी है। इतिहास की इतनी बड़ी त्रासदी को कांग्रेस ने देश के सामने नहीं आने दिया। देश के तमाम अन्य राजनीतिक दल भी इस पर चुप्पी साधे रहे। क्योंकि, सबको मुस्लिम वोट की दरकार थी।

इसी के चलते कश्मीरी पंडितों को आज तक सम्पूर्ण न्याय नहीं मिल पाया। मोदी सरकार ने उनके आंसू जरूर पोछे हैं। देश के मुसलमानों और मुस्लिम पक्षकारों को इस कड़वी सच्चाई से मुंह नहीं फेरना चाहिए। अब मुस्लिम आतंकवाद पर खुली बहस होनी चाहिए। इसके समाधान पर विचार होना चाहिए। मुसलमानों को मुस्लिम आतंकवादियों के बारे में नहीं, बल्कि देश हित में सोचना चाहिए। सीमा पार से आ रहे मुस्लिम आतंकवाद के खिलाफ सभी लोगों को एकजुट होना चाहिए।

देखो, दूसरे कार्यकाल में बुलडोजर बाबा क्या-क्या नया करते हैं?

कासिम चचा ने परपंचियों को बताया- योगी महाराज आगामी 25 मार्च की शाम यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में दोबारा शपथ लेंगे। बुलडोजर बाबा का शपथ ग्रहण समारोह इस बार लखनऊ के मशहूर इकाना क्रिकेट स्टेडियम में होगा। इस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ, गृहमंत्री शाह, भाजपा अध्यक्ष नड्डा सहित भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है। महाराज ने तमाम विपक्षी नेताओं को भी न्योता भेजा है। हालांकि, शपथ ग्रहण के पहले ही बाबा का बुलडोजर चलने लगा है। देखो, दूसरे कार्यकाल में बुलडोजर बाबा क्या-क्या नया करते हैं?

उधर, पँजाब में आम आदमी पार्टी भ्रष्टचार पर झाड़ू लगाने लगी है। नए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह के गांव खटकड़ कलां में हलफ ली थी। गोवा, मणिपुर व उत्तराखंड में भी नई भाजपा सरकार के गठन की कवायद चल रही है। पांच राज्यों में शर्मनाक हार के बाद कांग्रेस में उथल-पुथल मची है। कांग्रेस के कुछ बड़े नेता गांधी परिवार से कांग्रेस को मुक्त कराने के मूड में हैं।

मैंने परपंचियों को कोरोना महामारी का सप्ताहिक अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक 46 करोड़ 84 लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 60 लाख 93 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह भारत में चार करोड़ 30 लाख से अधिक लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। देश में अब तक पांच लाख 16 हजार से अधिक लोग बेमौत मारे जा चुके हैं।

भारत में शत-प्रतिशत लोगों को कोरोना का टीका देने का कार्य पूर्ण होने वाला है। देश में कोरोना योद्धाओं और बुजुर्गों को युद्ध स्तर पर बूस्टर डोज दी जा रही है। वहीं, 12 से 18 वर्ष आयु वाले बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है। भारत के टीकाकरण अभियान की सराहना पूरी दुनिया कर रही है। एक तरफ चीन में कोरोना का नया वैरिएंट ‘स्टील्थ’ कोहराम मचाए है। दूसरी तरफ भारत कोरोना पूरी तरह नियंत्रण में है। बहरहाल, हम सबको कोविड से जुड़े सभी नियमों का पालन करना होगा। तभी हम लोग कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से सुरक्षित रहेंगे।

अंत में चतुरी चाचा ने रूस-यूक्रेन युद्ध में हो रहे महाविनाश पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा- दोनों राष्ट्रपति राजहठ के वशीभूत हैं। पुतिन यूक्रेन को घुटनों पर लाना चाहते हैं। वहीं, जेलेन्स्की किसी भी प्रकार झुकने को तैयार नहीं हैं। दरअसल, यूक्रेन को अमेरिका और उसके पिछलग्गू यूरोपियन देश उकसाये हैं। ऐसे में खरबों डॉलर की संपत्ति राख हो चुकी है। वहां तमाम बच्चों सहित हज़ारों लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है। यूक्रेन के 25 लाख से ज्यादा नागरिक पड़ोसी देशों में शरणार्थी बन चुके हैं। इस युद्ध के लम्बा खिंचने से पूरी दुनिया में खलबली मची है। इसको लेकर हर देश चिंतित है।

इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!

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