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नारी शक्ति देश की शक्ति का सन्देश

रिपोर्ट-दिलीप अग्निहोत्री

आदिकाल में भारत के ऋषियों ने संगम के तट पर – यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः का उद्घोष किया था। यह भारतीय संस्कृति का सूत्र वाक्य बन गया। कुछ दशक पहले महान कवि निराला ने इस नगर में श्रमिक महिला का चित्रण किया- वह तोड़ती पत्थर, देखा मैने इलाहाबाद के पथ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बालिकाओं की शिक्षा व महिला स्वावलंबन के अभियान का शुभारंभ किया था। प्रयागराज इस अभियान का भव्य पड़ाव बना। यहां नरेंद्र मोदी ने महिला सशक्तिकरण व स्वावलंबन का सन्देश दिया। प्रयागराज के गौरवशाली इतिहास में नया अध्याय जुड़ा। अयोध्या,काशी,मथुरा, प्रयागराज आदि पौराणिक महत्व के तीर्थ स्थल है। वर्तमान केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार गरिमा के अनुरूप इन स्थलों का विकास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही श्री काशी विश्वनाथ धाम के भव्य कॉरिडोर का लोकार्पण किया था।

इसके पहले योगी सरकार ने भव्य दिव्य प्रयागराज कुंभ का आयोजन किया था। जिसमें अनेक वैश्विक कीर्तिमान स्थापित हुए थे। श्री काशी विश्वनाथ प्राचीन मंदिर के मूल स्वरूप को बनाए रखते हुए पांच लाख वर्ग फीट से अधिक में इसका विस्तार किया गया है। संकरी गलियों की जगह यहां सुगम्य निर्मांण किया गया। गंगा जी व श्री काशी विश्वनाथ धाम के एकीकरण हुआ। ढाई सौ साल बाद किसी शासक ने इस स्थल को भव्यता प्रदान की है। अयोध्या जी में भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण प्रगति पर है। पांच सौ साल बाद यह सपना साकार हो रहा है। मथुरा में ब्रज विकास परिषद का गठन किया गया।।इन सभी पौराणिक नगरों के विकास हेतु विगत पांच वर्षों में हजारों करोड़ रुपये की योजनाएं क्रियान्वित की ही है। पिछले कुछ दिनों में नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश की यात्रा पर आ चुके है। यह क्रम आगे भी जारी रहेगा। उनकी प्रत्येक यात्रा राजनीति व उत्तर प्रदेश के विकास की दृष्टि में महत्वपूर्ण है। सभी जनसभाओं में वह योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा कर चुके है। उनका यह विचार मात्र राजनीति तक सीमित नहीं है। बल्कि यह प्रमाणों व तथ्यों पर आधारित है। शाहजहांपुर के अगले चरण में नरेंद्र मोदी प्रयागराज यात्रा पर पहुंचे।

प्रधानमंत्री की प्रयागराज यात्रा अपने में अभूतपूर्व रही। क्योंकि इसमें लाखों की संख्या में महिलाओं की भागीदारी थी। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से शुरू हुई परिवर्तन यात्रा निरन्तर आगे बढ़ रही है। इस अवधि में महिला सशक्तिकरण की अनेक योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम वर्तमान सरकार की महिला कल्याण संबन्धी नीति के अनुरूप था। सरकार महिलाओं को कौशल विकास प्रोत्साहन व संसाधन उपलब्ध करा रही है। कार्यक्रम के आयोजन से महिला सशक्तिकरण अभियान को गति मिली है। महिलाओं को सहायता प्रदान करने के क्रम में प्रधानमंत्री एक हजार करोड़ रुपये की धनराशि स्वयं सहायता समूहों के खातों में हस्तांतरित की गई। जिससे स्वयं सहायता समूहों की लगभग सोलह लाख महिला सदस्यों को सीधा लाभ मिला। यह हस्तांतरण दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन डीएवाई एनआरएलएम के अंतर्गत किया गया। जिसके अनुसार प्रति स्वयं सहायता समूह एक लाख दस हजार रुपये के हिसाब से अस्सी हजार समूहों को समुदाय निवेश निधि सीआईएफ तथा पन्द्रह हजार रुपये प्रति स्वयं सहायता समूह के हिसाब से साठ हजार समूहों को परिचालन निधि प्राप्त हो रही है।

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री द्वारा बीस हजार व्यापार सखियों बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेन्ट सखी बीसी सखी के खातों में पहले महीने का चार हजार रुपये वजीफा भी हस्तांतरित किया गया। बीसी सखियां वित्तीय सेवायें उपलब्ध कराने के दौरान उन्हें छह महीने के लिये चार रुपये वजीफा दिया जाता है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री कन्या सुमंगल योजना के तहत एक लाख से अधिक लाभार्थियों को बीस करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि भी हस्तांतरित की गई। इस योजना से कन्याओं को उनके जीवन के विभिन्न चरणों में शर्तों के साथ नकद हस्तांतरण मिलता है। प्रति लाभार्थी हस्तांतरित की जाने वाली धनराशि पन्द्रह हजार रुपये है। जन्म पर दो हजार रुपये,एक वर्ष होने पर सारे टीके पर एक हजार रुपये,कक्षा प्रथम में प्रवेश लेने पर दो हजार रुपये कक्षा छह में प्रवेश लेने पर दो हजार रुपये,कक्षा नौ में प्रवेश लेने पर तीन हजार रुपये कक्षा दस या बारह उत्तीर्ण होने के बाद किसी डिग्री डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश पर पांच हजार रुपये शामिल हैं।

नरेंद्र मोदी करीब दो सौ पूरक पोषण निर्माण इकाइयों की आधारशिला रखी। इन इकाइयों का वित्तपोषण स्वयं सहायता समूह कर रहे हैं। इनके निर्माण में प्रति इकाई लगभग एक करोड़ रुपये का खर्च होंगे। ये इकाइयां राज्य के छह सौ प्रखंडों में एकीकृत बाल विकास योजना के अंतर्गत पूरक पोषण की आपूर्ति करेंगी। योगी सरकार ग्रामीण व शहरी परिवेश से जुड़ी हुई महिलाओं और बेटियों को एक ओर आत्मनिर्भर बना रही है। उनको सीधे तौर पर आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करा रही है। मिशन शक्ति अभियान, कन्या सुमंगला योजना, बीसी सखी,बिजली सखी,मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना,स्वयं सहायता समूह,उज्ज्वला योजना समेत दूसरी कई कल्याणकारी योजनाओं से महिलाओं व बेटियों को सीधे तौर पर लाभ मिल रहा है। उज्ज्वला योजना के तहत अब तक करीब पौने दो करोड़ परिवारों को निःशुल्क गैस कनेक्शन,दस लाख से अधिक बेटियों को मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना,डेढ़ लाख से अधिक कन्याओं का विवाह मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत किया जा चुका है।

इसके साथ ही निराश्रित महिला पेंशन,वृद्धावस्था पेंशन,दिव्यांग पेंशन की राशि को पांच सौ से बढ़ाकर प्रतिमाह एक हजार रुपये करने से पात्र लोगों को संबल मिला है। वस्तुतः योगी आदित्यनाथ सरकार केंद्र के प्रयासों में सहयोगी की भूमिका का बखूबी निर्वाह कर रही है। यह सहयोग सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की गौरव गाथा तक ही सीमित नहीं है,बल्कि केंद्र की विकास और कल्याणकारी योजनाओं को भी प्रदेश में बेहतर ढंग से लागू किया गया है। प्रयागराज कुंभ के भव्य व दिव्य आयोजन की सराहना पूरे विश्व में हुई थी। सैकड़ों देशों के प्रतिनिधि यहां आए थे। योगी सरकार के पहले हुए कुंभ में मारिसश के प्रधानमंत्री बड़े भक्तिभाव से प्रयागराज कुंभ में आये थे। लेकिन जल स्वच्छ न होने के कारण उन्होंन स्नान नहीं किया था। योगी सरकार में उनकी यह मनोकामना पूरी हुई थी। क्योंकि कुंभ में अनवरत स्वच्छ जल का प्रवाह हो रहा था। नमामि गंगे योजना भी फलीभूत हो हुई।

योगी आदित्यनाथ के निमंत्रण पर पहली बार प्रवासी भारतीय सम्मेलन के प्रतिनिधि कुम्भ स्नान हेतु पहुंचे थे। यहां आकर यह सभी भाव विभोर थे। ये सभी प्रतिनिधि काशी में हुए प्रवासी सम्मेलन हेतु आये थे। प्रयागराज कुम्भ का इनका कार्यक्रम बाद में बनाया गया। इस बार प्रयागराज कुम्भ में तैयारियों के साथ आस्था का भी समावेश हुआ था। यह योगी की निजी आस्था के कारण संभव हुआ। सरकारी मशीनरी ने भी इसी भावना से कार्य किया। पचास वर्षों में पहली बार तीर्थयात्रियों को इतना शुद्ध जल स्नान हेतु उपलब्ध हुआ। पहली बार तीर्थयात्री पौराणिक अक्षयवट और सरस्वती कूप के दर्शन का अवसर मिला था। आस्था के जुड़ाव से पूरा माहौल ही बदल जाता है। इस अवसर के लिए प्रयागराज में सांस्कृतिक केन्द्र के कलाग्राम की स्थापना की गई थी। यहां चलो मन गंगा यमुना तीर कार्यक्रम ने लोगों को बहुत प्रभावित किया। यूनेस्को ने कुम्भ को मानवता के अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की संज्ञा दी। योगी सरकार ने पौराणिक नाम प्रयागराज पुनःस्थापित किया। सरकार ने कुम्भ के अवसर पर अक्षयवट एवं सरस्वती कूप को श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोला। पहली बार सर्वाधिक संख्या में विशिष्ट विदेशी मेहमान कुम्भ में शामिल हुए।

प्रवासी सम्मेलन के प्रतिनिधियों के अलावा इकहत्तर देशों के राजदूत मेला क्षेत्र के भ्रमण हेतु आये थे। प्रयागराज में तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु पन्द्रह फ्लाई ओवर,अण्डर ब्रिज बने,दो सौ चौसठ सड़कों का चौड़ीकरण हुआ है। चौराहों का भी चौड़ीकरण और सौन्दर्यीकरण किया गया मेला क्षेत्र का एरिया पहले के मुकाबले बढ़ाया गया है। बाइस पान्टून ब्रिज बनाए गए,करीब सवा लाख शौचालय बनाये गए, बीस हजार से ज्यादा डस्टबिन मेला क्षेत्र में रखे गए थे। दस हजार श्रद्धालुओं की क्षमता का गंगा पंडाल बनाया गया। चार सांस्कृतिक पंडाल बनाये गए। बीस हजार श्रद्धालुओं के मेला क्षेत्र में रुकने की व्यवस्था की गई थी।इसके अलावा तेरह सौ हेक्टेयर में चौरानवे पार्किंग स्थल बनाये गए थे। पहली बार पांच सौ से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रम पूरे मेला क्षेत्र में सम्पन्न हुए। पेंट माई सिटी में पन्द्रह लाख वर्ग फीट में दीवारें पेंट की गई थी। स्वच्छ कुंभ और सुरक्षित कुंभ की थीम सफल रही थी। आठ घंटे तक हजारों विद्यर्थियो ने पेंटिंग बनाई थी। गिनीज विश्व बुक रिकार्ड कायम हुआ। दस हजार सफाई कर्मियों ने एकसाथ सफाई करके विश्व रिकॉर्ड बनाया। करीब पच्चीस करोड़ लोगों ने कुम्भ स्नान किया था। पहली बार कैबिनेट की बैठक प्रयागराज कुम्भ परिसर में हुई। इसमें प्रयागराज की कनेक्टिविटी के लिए गंगा एक्सप्रेस वे बनाने का निर्णय हुआ था। इस प्रकार यह कीर्तिमानों का दिव्य भव्य कुम्भ था।

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