भूकंप से तुर्की और सीरिया का बुरा हाल है। इस आपदा में करीब 8 हजार लोगों की मौत हो चुकी है और ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। 11 हजार से ज्यादा इमारतें तबाह हुई हैं। इतना ही नहीं दोनों देशों में 55000 से ज्यादा बचावकर्मी रेस्क्यू में जुटे हैं। सभी सरकारी इमारतों को शेल्टर होम बनाया गया है।
तुर्की सरकार के साथ आम लोगों ने भारी तबाही के बीच भारत के इन प्रयासों की दिल से बहुत तारीफ की।
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान ने बताया कि अब तक 70 देश और 14 अंतरराष्ट्रीय संगठन मदद के लिए आगे आए हैं। भारत भी प्रमुखता से वहां के हालातों पर नज़र बनाये हुए है। तुर्की में विनाशकारी भूकंप के बाद मंगलवार को NDRF की दो अलग-अलग टीमों को राहत और बचाव कार्य के लिए भेजा गया है। पहली टीम में 51 सदस्य जबकि दूसरी टीम में 50 सदस्य हैं। मेडिकल सहायता के साथ डॉग स्क्वॉड को भी भेजा गया है, जो आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्यों के दौरान सूंघने और अन्य महत्वपूर्ण कौशल में माहिर है।
भूकंप पीड़ितों को राहत देने के लिए भारत सरकार लगातार मदद पहुंचा रही है, जिसमे जीवन रक्षक दवाएं और आपातकालीन चिकित्सा वस्तुएं शामिल हैं। भारत के विदेश मंत्री एसo जयशंकर ने ट्वीट कर बताया है कि भारत ने राहत सामग्री के अलावा 30 बिस्तरों की चिकित्सा सुविधा वाले इंडियन आर्मी फील्ड अस्पताल को भी मौके पर भेजा है। चिकित्सा विशेषज्ञों की हमारी टीम चल रहे राहत प्रयासों में योगदान देगी।
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भारत संकट के समय में सभी देशों की मदद करता है, जिसकी पूरी दुनिया प्रसंशा करती है। इससे पहले भी साल 1999 में तुर्की में भूकंप आया था। तब भी भारत ने सबसे पहले भूकंप प्रभावित तुर्की को राहत भेजी थी। इनमें राहत और बचाव के लिए आपदा प्रबंधन की एक टीम भी शामिल थी। जिसके प्रयासों की तब की तुर्की सरकार और आम लोगों ने काफी तारीफ की थी।
रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी