लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार की न तो नीतियां सही हैं और नहीं नीयत। नतीजे में उत्तर प्रदेश के विकास का पहिया थम गया है। समाजवादी सरकार में उत्तर प्रदेश विकास की गति पकड़ ली थी लेकिन अब साढ़े तीन साल बीत गए भाजपा सरकार एक भी ऐसा काम नहीं दिखा पाई जिस पर वह अपना दावा कर सके। समाजवादी पार्टी के कार्यो में ही हेराफेरी करके वह अपना चेहरा बचाती आ रही है।
राजधानी लखनऊ में कैंसर इंस्टीट्यूट का शिलान्यास वर्ष 2013 में समाजवादी सरकार ने किया था। सपा सरकार की सोच यह थी कि दिल, किडनी, लीवर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज काफी मंहगा होने से सामान्य लोगों के लिए इनका इलाज करा पाना संभव नहीं। संपन्न लोग मुम्बई, दिल्ली या चेन्नई में इलाज कराने जाते हैं। समाजवादी सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कैंसर अस्पताल के सपने को धरती पर उतारा। 20 दिसम्बर 2016 को इसका लोकार्पण भी किया गया।
प्रदेश की भाजपा सरकार ने ‘सपा का काम अपने नाम‘ की आदत का हास्यास्पद प्रदर्शन करते हुए 20 अक्टूबर 2020 को सीजी सिटी स्थित कैंसर अस्पताल के लोकार्पण का लोकार्पण कर दिया। इस मौके पर कैंसर अस्पताल के निर्माण के लिए वे पूर्व सरकार का कृतज्ञता पूर्वक स्मरण भी नहीं कर सके। यह कौन सी नैतिकता है? हकीकत यह है कि भाजपा सरकार ने साढ़े तीन वर्षों तक कैंसर अस्पताल में मरीजो का इलाज ही नही होने दिया। चौथे वर्ष में ओपीडी का काम शुरू किया। सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली भाजपा सरकार ने अगर पहले ही काम शुरू करा दिया होता तो कितने ही मरीजों का इलाज हो जाता। मुख्यमंत्री जी में संवेदनशीलता होती तो वे साढ़े तीन सालों में यहां इलाज न पाने वाले कैंसर मरीजों की मौतों का प्रायश्चित अवश्य करते। यह भी याद करते कि उनके सत्तारूढ़ होने के बाद भी उनके गृह जनपद गोरखपुर इंसेफ्लाइटिस से हजारों बच्चों की मौत हुई।
यह हास्यास्पद है कि मुख्यमंत्री जी के ‘डुप्लीकेट लोकार्पण‘ और बड़ी-बड़ी बातों के बाद भी कैंसर अस्पताल में मरीजों को सही और सस्ता इलाज अभी भी नहीं मिल पाएगा। बड़ी संख्या में यहां शिक्षकों के पद खाली है। निर्माण कार्य भी अधूरा है। ऐसा लगता है कि अपनी बिदाई के चंद दिन रह जाने पर भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री जी अपनी बची खुची इज्जत बचाने के लिए ढूढ़- ढूढ़कर समाजवादी सरकार के कामों पर पत्थर चिपकाने की मुहिम में जुट गए हैं। लेकिन उनकी यह चालाकी जनता की निगाह से छुपने वाली नहीं है।