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नये कृषि क़ानून किसानों को आज़ाद नहीं बल्कि बर्बाद कर देंगे: जयंत चौधरी

मथुरा। जयंत चौधरी आज मथुरा की मांट विधानसभा में किसान पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार कह रही है कि आज किसान आजाद हो गया है, वो अपनी फसल को देश के किसी भी हिस्से में बेच सकता है। किसान केरल जाकर बेच सकता है, बिहार जाकर बेच सकते हैं। पर मैं पूछता हूँ कि इसमें नया क्या है? किसान कभी भी बंधक नहीं था कि वो किसी दूसरे राज्य में अपनी फसल को नही बेच सके। जो लोग पूछते हैं कि कानून में काला क्या है? मैं उनसे उल्टा पूछता हूँ कि आप बता दो इसमें अच्छा क्या है? आज तक सरकार इस बिल में किसानों के लिए क्या अच्छा है वो नहीं बता पाई हैं।

जयंत चौधरी ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आज किसान सरकारी अधिकारियों से परेशान होकर आत्महत्या कर रहे हैं। अलीगढ़ में रामजी लाल ने बिजली अधिकारी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। तंज कसते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि आज आवारा पशु खेतों में 56 भोग कर रहे हैं, डीजल और पेट्रोल के भाव बेहताशा बढ़ रहे हैं, डीएपी का बोरा सरकार 1250 से 1400 करने की फिराक में है, यूरिया के बोरे का वजन पांच किलो कम कर दिया। सरकार की समझदारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को लगता है कि किसान नासमझ है उसे कुछ समझ में नहीं आता है। पर वे गलती कर रहे हैं किसान सिर्फ मेहनत ही नहीं करता है वो अपनी मेहनत का सही दाम लेना भी जानता है। और जिसे हमारा इतिहास न पता हो हमारा इतिहास पढ़ ले।

हमने तो अंग्रेजों तक को उखाड़ फेंका था। होना तो यह चाहिए कि पूरे देश के किसान से एमएसपी पर तय किए गए भाव में ही फसल खरीदी जाए। पर हो इसके उलट रहा है। उदाहरण देते हुए जयंत चौधरी कहते हैं कि बाजरे का रेट 2150 है पर किसान को वास्तव में 1050 से 1100 के बीच में मिल रहा है। गेहूं का सरकारी भाव 1975 का है पर क्या इतना भाव किसान को मिल पाया है? मोदी जी 2011 में एमएसपी पर कानून की बात करते थे और आज एमएसपी को खत्म करने पर उतारू हैं। दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान हमारे भाई हैं आज उनका खून बह रहा है। सभा में बैठे हुए लोगों से अपील करते हुए उन्होंने पूछा कि क्या आपका खून उनके खून से अलग है?

गन्ना किसानों का मुद्दा भी इस सभा में उठाया और कहा कि मोदीजी 2017 में जब उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए आए थे तो वादा करके गए थे कि गन्ने का रेट 400 प्रति क्विंटल होना चाहिए और 14 दिन में भुगतान। 400 का रेट तो छोड़िए 3 साल से 1 रुपया तक नहीं बढ़ाया। इसलिए आप को फैसला लेना होगा और लकीर खींच लीजिए इस बात को लेकर कि कौन आपका है और कौन आपके ख़िलाफ़ है। आपको सबक सीखाना होगा ताकि भविष्य में भी कोई भी सरकार आ जाए किसान की तरफ आंख उठाकर न देख पाए।

गन्ना किसानों के मुद्दे पर बोलते हुए युवा राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता रोहित अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार आयोजनों में इतना व्यस्त की उसके पास इतना समय भी नहीं है कि गन्ने का मूल्य घोषित कर दें। किसान आज चार माह से मिलों को अपना गन्ना दे रहा है और उसकी पर्ची पर शून्य मूल्यांकन होकर आ रही है। उसको यह नहीं पता कि उसको कितना भुगतान मिलेगा। क्या देश में ऐसी कोई वस्तु है जिसको बेचने से पहले यह न पता हो कि उसका मूल्य कितना मिलेगा? यहां किसान अपना गन्ना बेचने के बाद भी उसको मूल्य की जानकारी नहीं है। ऐसे में सरकार का दोहरा चरित्र उजागर हो रहा है।

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