- Published by- @MrAnshulGaurav
- Friday, July 22, 2022
लखनऊ। बुजुर्गों की सेवा के लिऐ सतेन्द्र वर्मा ने किया प्रण, मां सेवा संकल्प संस्थान के माध्यम से करेंगे बुजुर्गों की सेवा। उल्लेखनीय हो की समाजसेवा के क्षेत्र में विख्यात समाज सेवक सतेन्द्र कुमार वर्मा ने मां सेवा संकल्प संस्थान के जरिए बुजुर्गो की सेवा करने का प्रण लिया है। इस संस्थान के द्वारा समाज में उपेक्षा का शिकार हुए बुजुर्गों की देखभाल,खानपान, वस्त्र आदि समस्त प्रकार की सुविधाएं उनके घर पर ही उपलब्ध कराईं जाएगी।
संस्थान के पदाधिकारी सुधा मिश्रा रूबी देवी किरण श्रीवास्तव दिलीप तिवारी निर्मल वर्मा चरण सिंह आदि बुजुर्गों के घर घर जाकर हरसंभव उनकी सेवा करने का प्रयास करेंगे। बातचीत के दौरान सतेन्द्र कुमार वर्मा ने बताया की समाज सेवा में उन्हे काफ़ी समय से रुचि है। और वह जरूरतमंदों की हमेशा से ही मदद करते आएं हैं।मां सेवा संकल्प संस्थान के विषय में पूछने पर उन्होंने बताया की समाज में अक्सर देखने को मिलता है ।
की जवान बेटे बहू ने अपने बुर्जुग मां पिता को घर से निकाल दिया।वह बुढ़ापे में दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर होते हैं,अक्सर बुर्जुग स्टेशन, बस स्टैंड आदी स्थानों पर भिक्षा मांगते नजर आते हैं जबकि उनके घर में बेटा बहु,नाती पोते सहित सम्पूर्ण परिवार में हर प्रकार की सुविधाएं होती हैं किंतु अपने बूढ़े मां बाप को वह घर से बोझ समझकर निकाल देते हैं ।
जिससे वह दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर होते हैं।यह सब देख देख कर मेरा हृदय करुणा से भर जाता था और तब मैंने इस विषय पर काफी गहराई से विचार किया और समाज में आगे भविष्य में इस प्रकार के मामले सामने न आएं इसके लिए हमने व हमारे सहगोगी साथियों ने मां सेवा संकल्प संस्थान के नाम से एक संस्था के जरिए एक छोटी सी पहल शुरू की। संस्थान के अध्यक्ष सतेन्द्र कुमार वर्मा उपाध्यक्ष सुधा मिश्रा सचिव रूबी देवी कोषअध्यक्ष किरण श्रीवास्तव वा संस्थान के सभी पदाधिकारियों के द्वारा संस्थान के माध्यम से बुजुर्गों की समस्त प्रकार की सेवाओं का निशुल्क पहुंचाने की अपने उपर जिम्मेदारी ली गई।
और समाज में अपने ही बच्चों के लिए बोझ बने बुजुर्गो के लिए उनके ही घर पर खानपान, वस्त्र आदि व्यवस्थाये करने का फ़ैसला किया गया है। संस्थान के अध्यक्ष सतेन्द्र वर्मा ने कहा की बड़ी ही बिडंबना की बात है की समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें मां बाप बोझ लगते हैं वह यह भूल जाते हैं ।
की वह भी कभी बूढ़े होंगे और जो वह अपने मां बाप के साथ कर रहे हैं यही उनके साथ उनके बच्चे करेंगे। जिस मां ने अपने बच्चे को नौ माह कोख में रखा और आधी उम्र तक उसकी सेवा की पालपोस कर कमाने लायक बनाया और न जानें कितनी मुसीबते झेली, बाप ने पता नहीं किस प्रकार से पैसे कमाए और पढ़ाया लिखाया, वही बच्चे आज आपने मां बाप को बोझ समझकर उपेक्षित नजरो से देखते हैं। मेरा प्रयास है ऐसे समाज में उपेक्षित मां बाप की सेवा ज़रूर करेंगे।