भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने सोमवार को भाजपा के पूर्ण कार्यकालिक अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया, लेकिन उनकी राह बहुत आसान नहीं है। नड्डा के सामने भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह अब तक के सबसे सफलतम भाजपा अध्यक्ष का रिकॉर्ड बनाकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में गए हैं। अमित शाह ने न केवल पूरी भाजपा को युवा बनाया, बल्कि भाजपा को युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय भी बनाया। शाह भाजपा को देश के गांवों तक लेकर गए और गांव के मतदाताओं के साथ जोड़ा। अब जगत प्रकाश नड्डा के सामने न केवल इसे बनाए रखने की चुनौती होगी, बल्कि अपने कार्यकाल में भाजपा से दो करोड़ नये सदस्यों को जोड़ने का भी लक्ष्य रहेगा।
दिल्ली चुनाव पहला इम्तिहान, इसके बाद बिहार-बंगाल
नड्डा के सामने पहला इम्तिहान दिल्ली विधानसभा का चुनाव है। अभी तक का चुनाव आम आदमी पार्टी और उसके मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ ट्रेंड कर रहा है। नड्डा के सामने इसे भाजपा के पाले में करने की चुनौती है।
भाजपा पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली का चुनाव बिना किसी मुख्यमंत्री के चेहरे के लड़ने का फैसला किया था। उन्होंने इस चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ने की रणनीति बनाई थी। अमित शाह आक्रामक चुनाव प्रचार का प्रयोग करते रहे हैं। हालांकि नड्डा बहुत बारीक राजनीति करते हैं।
स्वभाव से मृदु हैं। निगाह लक्ष्य पर रखते हैं। सबको साथ लेकर चलने में निपुण हैं और तमाम विरोधों के बीच अपनी लाइन बना ले जाते हैं। अब देखना होगा कि वह कहां तक सफल हो पाते हैं। दिल्ली के बाद नड्डा की दूसरी बड़ी परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव में होगी।
नड्डा ने बिहार से ही राजनीति का ककहरा सीखा था। छह महीने पहले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बिहार में अपना दमखम दिखाया है। राज्य में भाजपा के सहयोग वाली नीतीश कुमार की सरकार है। पूर्व अध्यक्ष अमित शाह साफ कर चुके हैं कि बिहार में भाजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी।