औरैया। कुपोषण मुक्ति के लिए शासन की ओर से कई योजनाएं संचालित चल रही हैं। बाल तथा महिला विकास विभाग द्वारा बच्चों के साथ-साथ गर्भवती तथा धात्री महिलाओं को भी पोषण योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। इसी क्रम में किसान पाठशाला की तर्ज पर गुरुवार को पूरे जिले के एनआईसी सहित सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण पाठशाला का आयोजन किया गया। पाठशाला में विभागीय सेवाओं के साथ पोषण प्रबंधन, कुपोषण से बचाव के उपायों पर विशेषज्ञों ने सवालों के जवाब दिए । दोपहर 11 बजे से एक बजे तक एनआईसी के माध्यम से वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा पोषण पाठशाला लगायी गयी।
जिला कार्यक्रम अधिकारी शरद अवस्थी ने बताया कि पाठशाला में ऊपरी आहार संबंधी चुनौतियों तथा उनके समाधानों पर विस्तृत चर्चा की गयी । कार्यक्रम की थीम सही समय पर ऊपरी आहार की शुरुआत है। उन्होंने बताया की पोषण पाठशाला में वेब कास्ट के माध्यम से जनपद में कार्यरत सभी बाल विकास परियोजना अधिकारी, मुख्य सेविका, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, लाभार्थी, धात्री महिलाओं को जोड़ा गया। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लाभार्थियों व अन्य द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर भी दिया गया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया- बच्चों के विकास का सीधा संबंध उनके आहार से होता है। सुपोषित बचपन के लिए छह माह के बाद ऊपरी आहार की शुरुआत एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है, जिसमें परिवार सुमदाय तथा प्रथम पंक्ति के कार्यकर्ताओं विशेषत: आँगनबाड़ी कार्यकर्ता का महत्वपूर्ण योगदान है। जानकारी का अभाव, समय का अभाव, प्रचलित मान्यताएं कई ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से संपूर्ण पोषण से वंचित रह जाते हैं। इस व्यवहार की कमी छोटे बच्चों में स्टंटिंग (कम ग्रोथ) का भी एक प्रमुख कारण है।
ऊपरी आहार की महत्वता, छह माह के बाद ऊपरी आहार तथा स्तनपान से मिलने वाली ऊर्जा व प्रोटीन का महत्व, बच्चों को दिये जाने वाले खाद्य़ समूह के प्रकार, ऊपरी आहार शुरू करते समय ध्यान देने योग्य बातें, ऊपरी आहार में आने वाली समस्याएँ, कुपोषित बच्चों में खान पान संबंधी देखभाल आदि पर पोषण पाठशाला में चर्चा हुई।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर