लखनऊ। प्रेस क्लब में आज लखनऊ गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी द्वारा सर्वधर्म विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय था “समलैंगिता समाज के लिए अभिशाप है।” इस विषय पर सभी धर्म के प्रमुख महानुभावों को आमंत्रित किया गया।
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लखनऊ गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष स. राजेन्द्र सिंह बग्गा ने इस अवसर पर कहा कि भारत के प्रमुख धर्मों में विवाह पर कुछ मान्यताएं निर्धारित की गयी हैं, जिसके अनुसार हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार विवाह के विविध उद्देश्य हैं, इसमें प्रजनन (संतानोत्पत्ति) एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। अतः हिन्दू धर्म में समलैंगिक विवाह पूरी तरह अस्वीकार्य है। इसी तरह इस्लाम धर्म में भी समलैंगिक विवाह को खुले तौर पर अस्वीकार किया गया है, क्योंकि इसे हैवानियत जैसा माना गया है।
सिक्ख धर्म की आचार संहिता के अनुसार किसी भी प्रकार का अंतरंग संबंध जो कि विवाह के अतिरिक्त हो अवैध माना जायेगा। सिक्ख धर्म में कहीं भी समलैंगिक संबंधों की चर्चा ही नहीं है। ईसाई धर्म में भी समलिंगक विवाह को किसी प्रकार की मान्यता प्राप्त नही है।
सर्वधर्म संगोष्ठी में लखनऊ गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के महासचिव स. हरपाल सिंह जग्गी, ने बताया कि समलैंगिक विवाह की अस्वीकर्यता के केवल धार्मिक कारण नहीं है अपितु इसके कई और भी वैध कारण हैं। उदाहरण के तौर पर इस प्रकार के विवाह के परिणाम स्वरूप यौन संचारित रोग व अन्य गंभीर रोगों के फैलने का खतरा बना रहता है। इससे प्रजनन दर पर विपरीत प्रभाव पड़ने से जनसंख्या असंतुलन की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
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प्रवक्ता सरदार सतपाल सिंह मीत, ने कहा कि भारत में एक पुरूष व एक महिला के बीच विवाह की वैधानिक मान्यताओं के अलावा विवाह आवश्यक रूप से सदियों पुराने रीति-रिवाजों, प्रथाओं, सांस्कृतिक लोकाचार और सामाजिक मूल्यों पर निर्भर करता है जो भारत के सभी धर्मों के अनुयायियों की जीवन शैली से गहरा संबंध रखता है।
इसलिए समलैंगिक विवाह पर पश्चिमी देशों के न्यायालयो द्वारा दिए गए निर्णयों को भारत में आयातित करना अनुचित होगा। समलैंगिक विवाह को मान्यता मिल जाने से देश को गंभीर सामाजिक एवं आर्थिक दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे। सरकार एवं उच्चतम न्यायालय को कानून पारित करने से पूर्व इस ज्वलंत विषय पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए। इस संदर्भ में महामहिम राष्ट्रपति जी को ज्ञापन प्रेषित किया जा रहा है।
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इस गोष्ठी में महन्त देवगिरी पीठासीन मनकामेश्वर मंदिर, आरडी द्विवेदी अध्यक्ष आशियाना परिवार, हिन्दू धर्म के आचार्य महाराज, प्रो रमेश दिक्षित (हिन्दू धर्म), जैन धर्म के प्रो अभय जैन, मौलाना सूफियान निजामी, बौद्ध धर्म के भन्ते ज्ञानलोक धर्मवक्ता उपस्थित थे सभी ने एक स्वर से समलैंगिकता को सभ्य समाज के लिए अभिशाप बताया।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी