साई बाबा जन्मस्थान का विवाद उच्च न्यायालय पहुंच गया है। साई जन्मभूमि पाथरी संस्थान ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पाथरी गांव को साई का जन्मस्थान बताया था और कहा था कि वह गांव के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये जारी करेंगे। शिरडी के निवासियों ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि बाबा ने अपने जीते जी कभी भी अपने धर्म, गांव, जाति आदि के बारे में नहीं बताया था। पाथरी के उनके जन्मस्थान होने को लेकर कोई प्रमाणिक सबूत नहीं है।
साईंबाबा जन्मस्थान को लेकर उपजे विवाद पर शिवसेना ने सफाई देते हुए बुधवार को कहा कि यह विवाद बेवजह पैदा हुआ था। इसके लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को दोष नहीं दिया जा सकता। यह कोई नहीं बता सकता कि 19वीं सदी के इस संत का जन्म वास्तव में शिरडी में हुआ था या नहीं।
पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा, संत साईंबाबा के जन्मस्थान को लेकर जो विवाद शुरू हुआ था, वह बाबा की कृपा से थम गया। शिरडी साईंबाबा की बदौलत समृद्ध हुआ। जिस शहर में संत की मृत्यु हुई वहां की समृद्धि को कोई छीन नहीं सकता। साईंबाबा संस्थान की संपत्ति 2600 करोड़ रुपये से ज्यादा है, जिससे सामाजिक कार्य किए जाते हैं।
उद्धव ने वापस लिया बयान
शिवसेना सांसद सदाशिव लोखंडे ने मंगलवार को कहा था कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपना बयान वापस ले लिया है। उन्होंने कहा कि पाथरी के विकास के लिए तैयार किए गए विकास प्रस्ताव से भी साईं जन्मस्थान का उल्लेख नहीं होगा।
पाथरी के विकास का विरोध नहीं- विखे पाटिल
साईंबाबा जन्मस्थान विवाद को लेकर हुई बैठक के बाद राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि हमने अपना पक्ष रखा। मुख्यमंत्री ने हमारी मांग को स्वीकार किया है। उनके आश्वासन के बाद आंदोलन वापस ले लिया गया। उन्होंने कहा कि हमारा पाथरी के विकास का विरोध नहीं है।