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एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन 

लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में 6 मार्च को शासकीय दू.ब. महिला महाविद्यालय तथा खुन खुन जी गर्ल्स पीजी कॉलेज, लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन प्राचार्य डॉ किरण गजपाल तथा प्राचार्य प्रोफ़ेसर अंशु केडिया के निर्देशन में किया गया। राष्ट्रीय वेबिनार का मुख्य विषय “एक स्थाई कल के लिए आज लैंगिक समानता” था।

वेबिनार के प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता के रुप में दर्शन शास्त्र विभाग एवं महिला अध्ययन विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राकेश चंद्रा ने अपने विचारों को व्यक्त किया। उन्होंने महिलाओं के पारम्परिक एवं आधुनिक दोनों ही समय के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि हमे महिलाओं के समाज में उनके योगदानों को तात्कालिक परिप्रेक्ष्य में समझने की आवश्यकता है।

वेबिनार

उन्होने कहा कि महिलाएं हमेशा से ही समाज में सक्रिय भूमिका में रही परन्तु उनके कार्यों का कभी सम्मान नहीं किया गया और ना ही प्रमुखता दी गई बल्कि उन्हें हमेशा हाशिए पर रखा गया। अपने विचारों में उन्होंने कई महिला लेखिकाओं, स्वतंत्रता सेनानियों एवं अन्य क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं की चर्चा की।

वेबिनार के द्वितीय सत्र में समाजशास्त्र विभाग बीयूसी कॉलेज, बटाला गुरदासपुर (पंजाब) की विभागध्यक्ष, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रजनी बाला ने नारीवाद की विभिन्न धाराओं एवम नारीवादी आंदोलन के विभिन्न स्वरूपों की चर्चा की तथा यूरोपीय नारीवाद आंदोलन और वैश्विक नारीवाद आंदोलन में अंतर भी स्पष्ट किया।अपने विचारों में उन्होंने कहा कि पुरुषों को समाज में उच्च स्थान मिला है जबकि महिलाएं हमेशा वस्तु समझी जाती रही है समाज में आज भी सारे निर्णय पुरुषों के द्वारा लिए जाते है।

अंत में उन्होंने कहा कि महिलाओं का ये संघर्ष पुरुषो से नही बल्कि समाज सुधारने का एक एजेंडा है जिसका उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकार दिलाना एवम समान अवसर उपलब्ध कराना है। प्राचार्य डॉ किरण गजपाल ने कहा की नारी सशक्त है उसे केवल अवसर मिलना चाहिए प्रदर्शन के लिए।

वेबिनार

कार्यक्रम की संयोजक समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ श्रद्धा गिरोलकर ने स्वागत वक्तव्य में कहा कि वैश्विक विकास के लिए लैंगिक समानता जरूरी है। सचिव डॉ प्रीति शर्मा ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। आईक्यूएसी प्रभारी डॉ ऊषाकिरण अग्रवाल ने आंकड़ों के आधार पर महिला शक्ति का परिचय दिया।

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कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए डॉ मनीषा महापात्र ने कहा कि मातृ शक्ति तो स्वयंसिद्ध है, वह गुणों की संपदा है, आवश्यकता है तो बस उसे प्रोत्साहन देने के। प्राचार्य डॉ अंशु केडिया ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। डॉ मनीषा उपाध्याय, डॉ अनामिका सिंह एवं डॉ विजेता दीक्षित द्वारा आयोजन में सहयोग किया गया। कार्यक्रम में 151 प्राध्यापक, शोधार्थी और छात्राएं सम्मिलित हुए।

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