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लखनऊ विश्वविद्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में प्रोफेसर एस के सरल सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में प्रोफेसर बद्रीनारायण, डायरेक्टर, जीबी पंत इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज प्रयागराज, अन्य अतिथि प्रोफेसर एस एम पटनायक, प्रोफेसर बीबी मोहंती, प्रोफेसर अरविंद मोहन, डॉक्टर अर्चना सिंह, प्रोफेसर पीएस शर्मा, प्रोफेसर डीआर साहू एवं अन्य शिक्षाविद उपस्थित रहे। पीएचडी शोधार्थी व अन्य छात्र छात्राएं भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम की शुरुआत में प्रोफेसर एसपी शर्मा डीन फैकल्टी ऑफ आर्ट्स एक्स ऑफिशियो हेड सोशियोलॉजी ने अतिथियों का स्वागत पुष्प व स्मृति चिन्ह के साथ किया। कार्यक्रमों के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि विकास यात्रा पर चर्चा विकास को आगे बढ़ाने का कार्य करेगी। इसके बाद मुख्य अतिथि प्रोफेसर बद्रीनारायण ने विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि विकास की अवधारणा मूर्त अमूर्त हो सकती है, यह अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग हो सकती है।

सभी को परिभाषित करना आवश्यक है। इसमें विश्वविद्यालय थिंक टैंक की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। विकास के अध्ययन में लाभार्थी की अवधारणा का अध्ययन आवश्यक है। इसका अध्ययन नीचे से ऊपर की ओर की रणनीति पर करना होगा। विकास इतिहास के साथ-साथ ज्ञान का निर्माण भी करता है इसमें विश्वविद्यालय अग्रणी भूमिका निभाएंगे।

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रोफेसर अरविंद मोहन ने बताया कि किस प्रकार 2008 की वैश्विक मंदी ने पूरे विश्व व्यवस्था को पलट कर रख दिया था। जहां विकसित देश विकास के लिए संघर्षरत थे वही एशिया के 2 देश भारत व चीन में वैश्विक अर्थव्यवस्था को संभाला। इसका अर्थ है कि विकास में हमारी इस अग्रणी भूमिका का अध्ययन आवश्यक है। यह शताब्दी एशिया की है मूल रूप से भारत की है। यदि हमें विकास लाना है तो हमारा मुख्य है जनांकिकी लाभांश महिलाओं की भागीदारी छोटे उद्योगों स्वास्थ्य क्षेत्र का अध्ययन आदि होना चाहिए। छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना होगा वह मानव संसाधन की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

डॉ अर्चना सिंह ने चर्चा की की विकास एवं उसके जाने मध्य सामंजस्य रखना होगा कोबरा हमें विकास कार्यक्रम के आउटपुट वह आउट कम के अंतर को फटकार आऊ कम के प्रभाव का अध्ययन करना होगा मेरा मकसद भी महंती ने विकास के आंकड़ों के मात्रात्मक स्वर्गवास मक दोनों पहले सुक्ष्म अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता बताई वह इसके मानव शास्त्रीय समाज शास्त्रीय बहनों को अर्थशास्त्र के साथ अध्ययन की उपयोगिता बताइए फोन विराम उन्होंने बताया कि कोई भी विकास कार्यक्रम पूरी तरह असफल नहीं होता है यह हमारी स्थिति का सही मूल्यांकन करने में सहायक होते हैं।

प्रोफेसर पटनायक ने विकास की यात्रा में विश्वविद्यालयों की भूमिका की महत्वता को उजागर किया उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालयों को राज्य व समाज के साथ व अपने विभिन्न विभागों के साथ मिलकर विकास कार्यक्रमों का मूल्यांकन करना होगा। विश्वविद्यालय मानव संसाधन का विकास करके राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं हर प्रकार का विकास व्यर्थ है यदि वह समुदाय के कल्याण में योगदान ना करता हो। अंत में उन्होंने कहा कि विकास को जमीनी स्तर पर समझना आवश्यक है इस प्रकार सभी का आभार जताते हुए कार्यक्रम का समापन प्रोफेसर सरोज कुमार ने किया।

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