दिल्ली के तिहाड़ जेल में कैदियों की आत्महत्या करने का सिलसिला जारी है। हाल ही में एक और विचाराधीन कैदी ने आत्महत्या किए जाने से यहां की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिये हैं। आखिर यहां पर कैदियों के जान देने का सिलसिला कब रुकेगा? कैदियों के आत्महत्या करने का यहां पर पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी कई कैदी आत्महत्या कर चुके हैं। ये कैदी आखिर यहां अपनी जान क्यों दे रहे हैं? इन पर किसी की नजर क्यों नहीं पड़ती। इसक साथ यहां उच्च सुरक्षा के दावे तो किये जाते हैं। लेकिन क्या वास्तव में यहां ढ़ोल में पोल वाली कहानी है…
कैदी सोनीराम फंदे पर झूला
तिहाड़ जेल में एक विचाराधीन कैदी सोनीराम ने फंदे पर झूल कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है। तिहाड़ जेल के बैरक नंबर पांच में बंद इस कैदी का शव जेल में फंदे से लटकता मिला। सोनीराम लूट से संबधित एक मामले में बंद था। हालांकि उसने आत्महत्या क्योंकि इस बात का खुलासा फिलहाल अभी तक नहीं हुआ है।
वर्ष 2016 में विक्रम ने लगाई थी फांसी
बीते वर्ष मार्च 2016 में भी यहां पर एक कैदी विक्रम ने भी यहां पर फांसी लगा दुनिया को अलविदा कह दिया था। विक्रम सुबह करीब सात बजे जेल नंबर तीन के बिहेवोरियल थेरेपी वार्ड में एक फंदे पर लटका हुआ पाया गया था। उसने तौलिया के सहारे रोशनदान के राड से फांसी लगाकर जान दे दी थी। वह पत्नी की हत्या के मामले में जेल में बंद था।
वर्ष 2015 में रवींद्र ने कर ली थी आत्महत्या
वहीं जुलाई 2015 में भी तिहाड़ जेल में रवींद्र नाम के एक कैदी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। दिल्ली की गोकुलपुरी का रहने वाला रवींद्र हत्या के मामले में दिल्ली की इस तिहाड़ जेल में बंद था। ऐसे में जेल के अंदर आत्महत्या के बढ़ते मामलों की वजह से जेल के अंदर की स्थिति पर एक नहीं कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
वर्ष 2014 में सिराजुद्दीन ने किया था सुसाइड
वर्ष 2014 के सितंबर माह में भी दिल्ली की तिहाड़ जेल के एक विचाराधीन कैदी सिराजुद्दीन ने खुदकुशी कर ली थी। वह तिहाड़ जेल में अपनी पत्नी की हत्या आरोप में बंद था। इस दौरान उसके मृतक कैदी के परिजनों ने यहां की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि देश के इतने बड़े जेल नें भला कैसे कोई खुदकुशी कर सकता है।