महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश (मध्य) की लखनऊ इकाई की मासिक काव्य गोष्ठी का ऑनलाइन सफल आयोजन डॉ. रीना श्रीवास्तव की अध्यक्षता एवं संयोजन में संपन्न हुआ। अगस्त माह की गोष्ठी स्वतंत्रता दिवस के उत्साह से सराबोर रही तथा रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, तीज आदि अनेक रंग बिरंगे त्योहारों से रंगी हुई प्रतीत हुई।
अगस्त माह में पड़ने वाले इन अवसरों का उत्साह कवयित्रियों में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हुआ। गोष्ठी का आरंभ सरस्वती वंदना से किया गया। विशिष्ट अतिथि डॉ. कमलेश, मंत्री, महिला काव्य मंच रहीं।
सर्वप्रथम अंजू ने अपनी कविता ‘स्नेह का रिश्ता सखी’ सुना कर विभोर कर दिया तत्पश्चात स्नेह लता ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’, साधना मिश्रा ने ‘एक पैगाम देश के नाम ‘, अलका गुप्ता ने ‘धरा आजाद हो मेरी’, अनीता सिन्हा ने ‘गुड़िया बोली अम्मा बोलो’, डॉ. सुधा मिश्रा ने ‘कविता लिखने का नहीं’, डॉ. ज्योत्सना सिंह ने ‘मां शारदे हंसासने’, डॉ. कीर्ति श्रीवास्तव ने ‘सारी मायूसी क्यों औरतों के हिस्से’, डॉ. रेखा गुप्ता ने ‘मीत मन के बनो तुम’, डॉ. कालिंदी पांडे ने ‘जिंदगी की हर शाम सबक’, बीना श्रीवास्तव ने ‘आजकल नए-नए छंद देखे’, मनीषा श्रीवास्तव ने ‘ तुम इश्क में सनम एक वादा’, शालिनी त्रिपाठी ने ‘बुरा वक्त सबका आता है’।
डॉ. पूनम सिंह ने ऐ नौजवान देश के तुझे शत शत प्रणाम, डॉ. शोभा बाजपेई ने ‘मोहब्बतों के मजहब को’, डॉ. अनुराधा पान्डेय ने ‘मैं कोई देवी नहीं’, डॉ उषा चौधरी ने ‘हिमकिरीट गिरिवर विशाल’, डॉ रीना श्रीवास्तव ने ‘कल जिंदगी को इतना करीब से देखा’, सुना कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया एवं खूब तालियां बटोरी अंत में डॉ. अनुराधा पांडे ने बहुत ही खूबसूरती से मंच का संचालन करते हुए सभी को धन्यवाद दिया तथा ‘सर्वे ‘भवन्तु सुखिन: सर्वे संतु निरामया’ के संदेश के साथ सभी की मंगल कामना करते हुए कार्यक्रम को विराम दिया।