पाकिस्तान के भविष्य पर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) 18 अक्टूबर को अपना फैसला देते हुए पाकिस्तान को चार महीने की मोहलत दे दी है। अगर उसने आतंकवाद के वित्तपोषण पर फरवरी 2020 तक लगाम नहीं लगाई, तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। एफएटीएफ ने कड़े शब्दों में कह दिया है कि फरवरी 2020 तक पूरी तरह से पाकिस्तान को अपनी पूर्ण कार्य योजना को पूरा करने का आग्रह कर रहे हैं। अन्यथा महत्वपूर्ण और स्थायी प्रगति नहीं होने पर अगली बैठक में एफएटीएफ कार्रवाई करेगा।
इसके साथ ही सदस्यों से आग्रह किया जाएगा कि वे अपने वित्तीय संस्थानों को पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों / लेन-देन पर विशेष ध्यान दें। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रहने के बाद पाकिस्तान को लगातार डर बना हुआ था कि उसका नाम कहीं डार्क ग्रे लिस्ट में न डाल दिया जाए, जो सुधरने की आखिरी चेतावनी है।
एफएटीएफ के नियमों के अनुसार, ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट के बीच में एक अनिवार्य चरण डार्क ग्रे लिस्ट का होता है। ऐसा होने पर उसके लिए विदेशों से आर्थिक मदद जुटाने में काफी मुश्किल हो सकती है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान लगातार डार्क-ग्रे लिस्ट में नाम डाले जाने से बचने के लिए दुनियाभर में हाथ-पैर मार रहा है। बताते चलें कि पेरिस स्थित मुख्यालय पर बुधवार को शुरू हुई FATF की बैठक में 18 अक्टूबर को पाकिस्तान के भाग्य पर फैसला करते हुए उसे चार महीने की आखिरी मोहलत दी गई है।
बताते चलें कि पाकिस्तान को पिछले साल जून में ग्रे-सूची में रखा गया था। उसे अक्टूबर 2019 तक पूरा करने के लिए एक एक्शन प्लान दिया गया था, जिसके तहत उसे आतंकी फंडिंग को रोकने, आतंकवाद को अपनी जमीन से खत्म करने सहित 27 काम सौंपे गए थे। इसमें से महज छह कार्यों को ही पाकिस्तान पूरा कर पाया था।