चीन के सहयोग से बनाये जा रहे चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा को पाकिस्तान बेशक बेहद महत्वपूर्ण परियोजना बता रहा हो लेकिन अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान के पास इतने बड़े आधारभूत संरचना विकास की जरूरतों को समाहित करने की क्षमता नहीं है और वह अनजाने ही बड़े कर्ज के जाल में फंस सकता है। यह बात इंस्टीट्यूट आफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस (आईडीएसए) की एक रिपोर्ट में सामने आई है जिसे संस्थान के विशेषज्ञ जैनब अख्तर ने तैयार किया है।
अख्तर ने इस रिपोर्ट में कहा है कि गिलगित एवं बालटिस्तान जो पहले उत्तरी क्षेत्र के रूप में जाने जाते थे और जो जम्मू कश्मीर राज्य का अभिन्न हिस्सा थे, वे अभी पाकिस्तान के कब्जे में हैं। यह इलाका चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) की घोषणा के बाद से सुर्खियों में आ गया है। इसमें कहा गया है कि सीपीईसी चीन की एक क्षेत्र एक मार्ग (ओबीओआर) पहल का हिस्सा है जिसे पाकिस्तान अपने लिए काफी महत्वपूर्ण बता रहा है क्योंकि उसे इससे आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में सीपीईसी को लेकर आर्थिक एवं राजनीतिक चर्चा के बीच गिलगित एवं बालटिस्तान के लोगों की आशा एवं आकांक्षाओं को नजरंदाज किया जा रहा है।