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विद्वान संत के स्मृति समारोह में उमड़ा जन सैलाब

भारतभूमि संतों की धरती है, इस विरासत को संजोते और उनसे प्रेरित होकर निरंतर सही दिशा में अग्रसर होने की जरूरत है।

आजमगढ़ (बिंद्रा बाजार)। संत सत्य का प्रतीक होता है। जो सूर्य कहेगा वही उसकी किरण भी बोलेगी। सूर्य के विपरीत कहे तो वो किरण नहीं। शरीर का आना जाना होता है आत्मा तो अजर अमर होता है। संत का जीवन प्रेरणा मय होता है। सप्रेम संस्थान के सहयोग संत निरंकारी मिशन द्वारा, बिंद्रा बाजार रोहुआ (मुस्तफाबाद) स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन के विशाल प्रांगण में 25 दिसंबर 2022 को आयोजित “प्रेरणा-दिवस” कार्यक्रम में पूर्व संयोजक व् ज्ञान-प्रचारक, विद्वान निरंकारी संत श्री प्रेम नारायण लाल एवं उनके अनन्य मित्र व् निरंकारी सेवादल के संचालक श्री राजध्यानी यादव सहित अनेकों बुज़ुर्ग ब्रह्मलीन संतों को श्रद्धापूर्वक याद किया गया। जिसमें आजमगढ़ जनपद सहित जौनपुर, वाराणसी, लखनऊ तथा दिल्ली से भी सैंकड़ों संतजन–गणमान्य सज्जन शामिल हुए।

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इस अवसर पर एक लघु काव्य–गोष्ठी का भी आयोजन हुआ, जिसका शीर्षक था-गिले शिकवे भुला कर प्रेम करना ही इबादत है। जिसमें पांच कवियों पुष्पेंद्र अस्थाना पुष्प,रोहित निरंकारी,सूर्यनाथ सूर्य व अमित नासमझ ने स्वरचित-काव्य एवं ग़ज़ल पढ़ी। कार्यक्रम को सफल बनाने में निरंकारी सेवादल के भाई–बहनों ने वर्तमान निरंकारी सेवादल संचालक डॉक्टर श्याम नयन के नेतृत्व में विशेष भूमिका निभाई तथा कार्यक्रम क्षमा–याचना गान भी सामूहिक रूप से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में वर्तमान सदगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के प्रेरणादायक प्रवचन भी प्रोजेक्टर और LED के माध्यम से सुनाया गया।

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कार्यक्रम में सप्रेम संस्थान की प्रणेता माता सरोज अस्थाना सहित डाक्टर सुरेश, संजय गुप्ता, विश्वास सेठ, भोजपुरी गायक रविकांत, राम किशोर, डाक्टर राजमणि, डाक्टर रामप्रताप श्रीवास्तव, लालधारी, रामनाथ,रामनारायण, एस के वर्मा, खिरोधन एंड पार्टी आदि ने भी अपने शुभ भाव लगभग 60 ब्रह्मलीन संतों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। सप्रेम संस्थान के अध्यक्ष डॉ पुष्पेंद्र अस्थाना और निरंकारी मंडल के स्थानीय शाखा–इंचार्ज टीआर भगत ने सभी का आभार व धन्यवाद प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन इंजी. धर्मेंद्र अस्थाना एवं नवोदित कवि रोहित अस्थाना ने किया।

इसी संदर्भ में 30 दिसम्बर की शाम को एक ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सन्त प्रेम की स्मृति में आयोजित किया जाएगा। वरिष्ठ कवि सूर्यनाथ सूर्य ने अपने काव्य शब्दों में कहा-प्रेमपरायण परम हितैसी- प्रेमनरायण परचम थाम। चलें पताका प्रेम की लेकर- चाहे जो भी है अंजाम। बस, कथनी को करनी कर दे- चमत्कार हो जायेगा। युवा कवि अमित नासमझ ने -प्रेम नम्रता सहनशीलता रही, जिनके जीवन की नज़ाकत है।

उन्होंने ताउम्र बस हमे यही सिखाया, तफ़रकों को मिटाकर, प्रेम करना ही इबादत है। रोहित निरंकारी के काव्य भाव- हमें जो है मिली यह ज़िंदगी रब की अमानत है। संवारें हम अकीदत-प्यार से इसको जो नेमत है। पुष्पेंद्र अस्थाना पुष्प के काव्य भाव- बड़ी मेहनत मशक्कत कर विरासत में दिया हमको, गंवाएं ना इसे हरगिज़ बुज़ुर्गों की ये दौलत है। चलो सदभावना के पुष्प कुछ ऐसा खिलाएं हम, ज़माना कह उठे यह प्रेम बगिया खूबसूरत है।

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