आजकल के बदलते लाइफस्टाइल (Lifestyle) में नींद न आना एक कॉमन प्रॉब्लम के रूप में सामने आ रही है. कई बार ऐसा होता है कि नींद पूरी नहीं लेने की वजह से मन चिड़चिड़ा सा हो जाता है.
इस स्टडी के अनुसार, 50 से ज्यादा उम्र में नींद न आने से पीड़ित लोग समय के साथ नकारात्मक धारणाओं (Negative Perceptions) से पीडि़त हो सकते हैं, जो उनके शारीरिक, मानसिक और संज्ञानात्मक (cognitive) स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर (University of Exeter) की रिसर्चर और इस स्टडी की प्रमुख लेखिका सेरेना सबातिनी ने कहा कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, लोग सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के बदलावों का अनुभव करते हैं, जबकि कुछ लोग अधिक नकारात्मक हो जाते हैं. इसी के साथ बूढ़े होने की धारणा भी लोगों को नकारात्मक बनाती है.
रिसर्चर्स ने 50 साल और उससे अधिक आयु के 4,482 लोगों पर सर्वे किया. इस सर्वे का उद्देश्य यह जानना था कि लोग किस फैक्टर (कारक) के जरिए खुद को हेल्दी महसूस करते हैं. स्टडी (Study) में सामने आया कि ज्यादातर लोग अपनी नींद को लेकर परेशान थे.