गोरखपुर में बांसगांव क्षेत्र के चाड़ी गांव में बुधवार को पुलिस के अमानवीय रवैये ने एक व्यक्ति की जान ले ली। दौड़ाने पर गिरकर बेहोश व्यक्ति को पुलिसवाले लात-घूंसों से पीटते रहे।
जब कोई हरकत नहीं हुई तो अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डाक्टरों ने मृत बताया लेकिन पुलिस कर्मी नहीं माने और रेफर कराकर जिला अस्पताल ले गए। उधर, नाराज ग्रामीणों ने बांसगांव-कौड़ीराम मार्ग जाम कर दिया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस पहुंच गई। सीओ बांसगांव ने कार्रवाई का आश्वासन देकर जाम हटवाया।
चाड़ी गांव निवासी रामसकल (50) और रामबचन के बीच भूमि विवाद को लेकर 25 मार्च को मारपीट हो गई थी। इस घटना में दोनों पक्षों को चोटें आई थीं। हालांकि तब बांसगांव पुलिस ने केवल रामबचन की ओर से रामसकल और उनके भाई राधेश्याम पर केस दर्ज कर लिया। ग्रामीणों के मुताबिक रामसकल को भी गम्भीर चोटें आई थीं लेकिन थाने पर उसकी फरियाद अनसुनी कर दी गई। उसी मुकदमे में बुधवार की सुबह 8 बजे एक दरोगा और सादे लिबास में दो सिपाही रामसकल के दरवाजे पर जा धमके। रामसकल के विरोधी के परिवार के भी चार सदस्य थोड़ी दूरी पर खड़े हो गए।
गुड़िया ने बताया कि उसके पिता कुछ ही दूर भाग पाए थे कि गिर पड़े। पुलिस कर्मी उनके नजदीक पहुंचकर लात-घूंसा बरसाने लगे। वह घबराई हुई उनके नजदीक पहुंची लेकिन उन्होंने उसे पिता से मिलने नहीं दिया। पुलिस कर्मियों ने उसके पिता को बाइक पर लाद लिया। वह बार-बार साथ चलने के लिए मिन्नतें करती रही लेकिन पुलिसकर्मी पिता को लेकर भाग गए।
गुड़िया ने कहा कि उसका बड़ा भाई मानसिक बीमार है। एक छोटा भाई है। तीन बहनों की शादी हो गई है जो अपने-अपने घर रहती हैं। उसके दो चाचा हैं जो अलग रहते हैं। 25 मार्च को जब विवाद हुआ तो उसके एक चाचा बिन्नू पंजाब थे। दूसरे चाचा राधेश्याम कहीं बाहर थे। उसके दोनों चाचा के परिवार से उनकी बातचीत भी बंद थी। पट्टीदारों ने जिनकी संख्या 6 थी, उसके पिता पर हमला कर दिया। एक ने उसके पिता को जमीन पर पटक दिया था और बाकी लोग मारपीट रहे थे। उनके हाथों में लाठियां थीं। कुल्हाड़ियां थीं। पुलिस हमारे और पट्टीदारों की स्थिति जानती थी लेकिन केवल एक पक्षीय कार्रवाई करती रही।