Breaking News

आवाज़ उठाना सीखो, सच के लिए लड़ना सीखो : शेखर दीक्षित

जिधर भी जाओ एक ही बात सुनने को मिलती है की देश मेरा बढ़ रहा है पर कैसे इसका कोई सटीक जवाब नहीं दे पता सभी भविष्य की सम्भावनाओं पर उमीद लगाए बैठे है कि अब तो कुछ बेहतर होगा।

पर कैसे? आँखो को बन्द करके ये पूछना छोड़ दें की कैसे , नौकरियाँ जा रही है जो नए पढ़कर आ रहे है उनके लिए है नहीं महंगाई चरम पर है बिजली से लेकर गैस सलेंडर तक का दाम आम इन्सान की पकड़ से बाहर है, बुनियादी  चीजों की क़िल्लत है और हमारा देश बढ़ रहा है।

लोकतंत्र में सवाल पूछने पर भी रोक सी लगा दी गयी है कुछ तथाकथित लोग जो सरकार की पैरवी करते है वो सवालों के जवाब के बजाए जाति और धर्म पर उतर आते है।

किसान का भुगतान गन्ना मिल न करे और बैंक क़र्ज़ की वसूली करे ये कैसा न्याय है, चन्द दिन पहले की घटना बाराबंकी ज़िले की दिमाग़ में आ जाती है और वो भी अब इस दुनिया में नहीं रहा आत्महत्या कर ली पर सबसे सस्ता तो लोकतंत्र में जान देना ही है, सीमा पर जवान के साथ अगर देश के भीतर का किसान नहीं खड़ा रहा तो जल्द ही अर्थव्यवस्था ही नहीं देश की नीव भी हिल जाएगी।

सरकार कोई बनाए विपक्ष कोई बने पर समस्या ज्यों की त्यों कुछ तो बोलना होगा । विपक्ष तो बोल पा नहीं रहा बहुत सा कचरा जो उन्होंने अपने घरों में जमा कर लिया था इसलिए शायद चुप है पर हमने तो प्रण लिया था हम बोलेंगे वही जो धिक्कारे न आत्मा को किसी के साथ नहीं सिर्फ़ देश और उसके भविष्य के साथ।

About Aditya Jaiswal

Check Also

कॉलोनाइजर ने सिंचाई विभाग की टीम को बनाया बंधक, जूतों से पीटा; अवैध पुलिया ढहाने के दौरान वारदात

आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा में रजवाहा पर अवैध पुलिया ढहाने गए सिंचाई विभाग के ...