लखनऊ। उत्तर प्रदेश को पूरी तरह से अपराध मुक्त करने की मुहीम में जुटी सरकार का तर्क है कि गुंडे जेल में होंगे। पुलिस की कोर्ट से इन्हें जमानत नहीं मिलेगी। ट्रैफिक में बाधा बनने वाले अतिक्रमण या सड़क के अवैध कब्जे पुलिस के आदेश पर हटाने ही होंगे। ट्रैफिक नियमों का पालन सख्ती से करवाया जाएगा क्योंकि बार-बार ट्रैफिक नियम तोड़ने पर पुलिस ही ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर सकेगी। लाठी चार्ज या आंसू गैस के गोले छोड़ने का फैसला पुलिस अपने ही स्तर पर लेगी। मतलब है कि शहर की कानून व्यवस्था के लिए अब सीधे तौर पर पुलिस ही जवाबदेह होगी। पुलिस कमिश्नर प्रणाली Police commissioner system के लिए बन रहे प्रस्ताव में इसके प्रावधान किए जाएंगे।
कैसे काम करेगा पुलिस कमिश्नर सिस्टम
पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने से पुलिस के पास ज्यादा अधिकार होंगे।कानून-व्यवस्था को देखते हुए पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होंगे। जिले में तैनात पुलिस कमिश्नर को डीएम या मंडल कमिश्नर या फिर शासन से किसी आदेश की जरूरत नहीं रहेगी। कमिश्नर सिस्टम लागू होने से पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही भी बढ़ेगी। क्योंकि फिर वह यह बहाना नहीं बना पाएंगे कि उनके पास सुविधाओं या संसाधनों का अभाव है। उन्हें ऊपर से किसी का आदेश नहीं मिलने का बहाना नहीं चल पाएगा।
राज्यपाल राम नाईक ने सीएम योगी से प्रदेश के तीन जिलों
मालूम हो,राज्यपाल राम नाईक ने सीएम योगी से प्रदेश के तीन जिले लखनऊ, कानपुर व गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की सलाह दी। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में इसे सलाह के तौर पर अपनी बात रखते हुए कहा कि देश के 71 शहरों में पीसीएस लागू है। ऐसे 19 महानगर और हैं जहां की आबादी 20 लाख से अधिक है। यहां पर पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होनी चाहिए। इनमें यूपी के तीन शहर है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए।