लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद अब उनके सियासी उत्तराधिकारी को लेकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक हुई जिसमें आज जयंत चौधरी की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी हो गई। सर्वसम्मति से उन्हें पार्टी का नेता चुन लिया गया। जयंत चौधरी ने अध्यक्ष पद संभालते ही संयुक्त किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कार्यकर्ताओं से बुधवार को इसमें बड़ी संख्या में भाग लेने का आह्वान किया है। सरकार से मांग की है कि किसानों से वार्ता कर समस्या का जल्द कोई हल निकाले। लखनऊ में पार्टी मुख्यालय में पहले स्व.चौधरी अजीत सिंह को श्रद्धांजलि दी गई।
बने रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष, किसान आंदोलन का किया समर्थन
इस दौरान पार्टी के सभी 34 सदस्य वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए जुड़े थे। राष्ट्रीय लोकदल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में जयंत चौधरी के नाम पर मुहर लगा दी। इन सभी ने पार्टी अध्यक्ष को लेकर अपनी-अपनी राय दी। 11 बजे से शुरु हुई इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सभी सभी 34 सदस्यों ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर अपनी राय दी। सन 1999में चौधरी अजित सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल का गठन किया था और तब से अनवरत किसानों की आवाज बनकर लखनऊ से दिल्ली तक संघर्ष करते रहे। किसानों की खातिर कृषि मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया था। अब वही जिम्मेदारी छोटे चौधरी जयंत चौधरी के कंधे पर आज रालोद के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियो ने डाली है।
छोटे चौधरी के सामने दुर्ग सँभालने की चुनौती
पश्चिमी उत्तर प्रदेश जाटगढ़ कहा जाता है। यहां राजनीति का केंद्र बागपत को माना जाता रहा है। चौधरी चरण सिंह से लेकर चौधरी अजित सिंह तक ने अपने इस दुर्ग को मजबूत बनाए रखा, लेकिन मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से यह बिखर गया। बीजेपी के शक्तिशाली होने के बाद इधर के हालात बदले हैं। बीजेपी सतपाल सिंह और संजीव बालियान जैसे जाट नेताओं को स्थापित करने में कामयाब रही। मुजफ्फरनगर क्षेत्र में संजीव बालियान ने संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी रहे चौधरी अजित सिंह को मात देकर इतिहास पलट दिया।
आरएलडी की साख को बट्टा लगा। जयंत चौधरी को भी बागपत में मात मिली। ऐसे में अब जयंत चौधरी को दोबारा से अपनी सियासत को मजबूती से खड़ा करना है, जाट समुदाय को दोबारा से आरएलडी के साथ जोडऩे की चुनौती होगी। पश्चिम यूपी में आरएलडी जाट और मुस्लिम समीकरण के सहारे किंगमेकर की भूमिका अदा करती रही है, लेकिन 2013 में मुजफ्फरनगर दंगे के बाद आरएलडी का यह समीकरण ध्वस्त हो गया।
जाट और मुस्लिम अलग-अलग खड़े नजर आये, लेकिन किसान आंदोलन के बाद पश्चिम यूपी में एक बार फिर दोनों समुदाय एक साथ दिखे हैं। ऐसे में जयंत चौधरी को अपने पिता और दादा की सियासी विरासत को बचाए रखने के लिए जाट-मुस्लिम समीकरण को साधकर रखना होगा, क्योंकि पश्चिम यूपी में यह दोनों ही समुदाय काफी अहम भूमिका में है।
राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने राष्ट्रीय लोकदल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा सर्वसम्मति से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष माननीय जयंत चौधरी को राष्ट्रीय लोक दल का राष्ट्रीयअध्यक्ष चुने जाने पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि जयंत चौधरी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से गांव, गरीब किसान व नौजवान की आवाज मजबूत होगी और उनके नेतृत्व में पार्टी और मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में एक बड़े राजनैतिक परिवर्तन को लाने में जयंत चौधरी जी सफल होंगे।
वहीं रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता रोहित अग्रवाल ने जयंत चौधरी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सर्वसम्मति से राष्ट्रीय लोकदल का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनें जाने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित की। श्री अग्रवाल ने कहा कि जयंत चौधरी के नेतृत्व में राष्ट्रीय लोकदल हमेशा की तरह किसानों और मजदूरों की आवाज मजबूती से उठाता रहेगाl उन्होंने कहा कि देश एव प्रदेश का युवा नई ऊर्जा के साथ जयंत चौधरी जी के हाथों को मजबूत करेगा।