भाजपा के त्रिपुरा के जीत के साथ ही एक तरफ जहाँ सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है वही एक दूसरा ही मुद्दा तूल पकड़ने लगा है। सबसे पहले लेनिन ,फिर पेरियार और अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी की statue गिराई गयी।
क्या है statue clash
आज देश में मूर्तियों का विवाद काफी जोर-शोर से चल रहा। पिछले दिनों में मूर्तियों के गिराने की घटनाएं बढ़ गयी हैं। अलग-अलग राज्यों में मूर्तियां गिराने से माहौल काफी तनाव भरा है।
सबसे पहले साउथ त्रिपुरा डिस्ट्रिक्ट के बेलोनिया में ब्लादीमीर इलिच लेनिन की मूर्ति गिराई गई। इसके बाद तमिलनाडु के वेल्लूर जिले में पेरियार की प्रतिमा और कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किया गया है।
जानते हैं किन-किन शख्िसयतों की मूर्तियां तोड़ी गई
ब्लादीमीर इलिच लेनिन
- त्रिपुरा में बीजेपी समर्थकों ने बेलोनिया सबडिविजन में चौराहे पर लगी रूसी क्रांति के नायक ब्लादीमीर इलिच लेनिन की मूर्ति को ढहा दिया।
- रूस में सामंतवादी प्रथा को खत्म करने वाले क्रांतिकारी नेता व्लादिमीर लेनिन बचपन से से ही तानाशाही के विरोधी रहे हैं।
- 22 अप्रैल 1870 में जन्में लेनिन को तानाशाही विरोधी होने और मार्क्सवादी संगठन बनाने के कारण कई बार कॉलेज से निकाला गया था।
- लेनिन ने 1917 में अक्टूबर क्रांति का नेतृत्व कर एक ऐसी सरकार का गठन किया जिसमें कामगार, मजदूर व किसानों को प्रतिनिधि नियुक्त किया।
- इस दौरान वह बोलशेविक्स के नेता के रूप में 1917-1924 तक सोवियत गणराज्य के शीर्ष पद पर बने रहे।
इवी नायकर रामास्वामी पेरियार
- त्रिपुरा के बाद तमिलनाडु में पेरियार की मूर्ति गिराने का मामला सामने आया।
- तमिलनाडु में इरोड वेंकट नायकर रामास्वामी यानी कि पेरियार का जन्म 17 सितम्बर 1879 में हुआ था।
- वे समाज सुधार और द्रविड़ आंदोलन की शुरुआत करने वाले थे।
- पेरियार ने प्रसिद्ध पेरियार आंदोलन चलाया था।
- यह आंदोलन नास्तिकता के प्रसार के लिए जाना जाता है।
- इसके बाद उन्होंने द्रविड़ कड़गम नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई थी।
- इवी नायकर रामास्वामी पेरियार ने 1973 में दुनिया को अलविदा कह दिया।
डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी
- मूर्ति विवाद में अभी तक की सबसे आखिरी कड़ी डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा रही।
- श्यामा प्रसाद मुखर्जी मूर्ति पर स्याही भी फेंकी गई तथा मूर्ति के माथे वाले हिस्से को हथौड़ों से तोड़ने की कोशिश की गई।
- इनका जन्म 6 जुलाई 1901 में कलकत्ता में हुआ था।
- ये एक शिक्षाविद, बैरिस्टर और भारतीय राजनेता के तौर पर जाने जाते हैं।
- डॉक्टर मुखर्जी की मृत्यु 23 जून 1953 को कश्मीर में हुई थी।
- भारत के गौरवशाली इतिहास में उनकी छवि कर्मठ, जुझारू और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति कि है।
- डॉक्टर मुखर्जी एक निशान-एक विधान का नारा दिया था।
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