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कटाई, सहालग और गर्मी से गिरा मतदान; यूपी में वोटिंग के पहले ही चरण में पस्त दिखे अभियान

लखनऊ। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अभियान चलाए गए। पर, पहले चरण के मतदान में ये प्रयास सफल नहीं हो सके। मतदान 5.4 फीसदी कम हो गया। सियासी पंडित इसके पीछे तमाम वजहें गिना रहे हैं। गेहूं की कटाई, सहालग और गर्म हवा के थपेड़े तो जिम्मेदार माने ही जा रहे हैं, स्थानीय राजनीतिक कारणों के चलते भी मतदाताओं में उत्साह नहीं दिखा।

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हालांकि मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने कहा, अगले चरणों में मतदान बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। पहले से किए जा रहे उपायों को और भी प्रभावी बनाएंगे।

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मुरादाबाद : एसटी हसन का टिकट कटने से कम दिखा उत्साह

2019 में लोकसभा चुनाव लिए 12 मार्च को आचार संहिता लागू हुई थी। मुरादाबाद में मतदान 23 अप्रैल को हुआ था। इस बार आचार संहिता 18 मार्च को लागू हुई और मतदान 19 अप्रैल को हुआ। दोनों चुनावों में गर्मी कमोबेश एक जैसे ही रही।

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पिछली बार करीब 66 प्रतिशत मतदान हुआ था और इस बार 62 प्रतिशत। सियासी पंडितों का मानना है कि ऐसे में मतदान पर मौसम का असर पड़ने की दी जा रही दलील उतनी सही नहीं है। उनका मानना है कि इस बार कहीं कोई लहर नहीं थी, इसलिए मतदाता सुस्त रहे।

  • भाजपा प्रत्याशी कुंवर सर्वेश कुमार चुनाव के दौरान बीमार हो गए और शनिवार को उनका निधन हो गया। भाजपा के चुनाव का संचालन पार्टी के साथ ही उनके बेटे विधायक सुशांत सिंह कर रहे थे।
  • दूसरी तरफ सपा में सांसद डॉ.एसटी हसन का टिकट कटने के बाद बिजनौर की रहने वाली रुचि वीरा को टिकट मिला। एसटी हसन फैक्टर की वजह से मुस्लिम मतदाताओं में भी उदासीनता दिखी।
  • राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर है। बसपा प्रत्याशी इरफान सैफी की परफॉर्मेंस जीत-हार का फैसला करेगी।

रामपुर : घरों से कम ही निकले आजम समर्थक मुस्लिम मतदाता

रामपुर सीट पर 55.75 फीसदी मतदान हुआ, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में 64.40 फीसदी मतदान हुआ था। आजम खां की अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी मौलाना मोहिब्बुल्लाह नदवी को लेकर नाराजगी और चुनाव बहिष्कार की अपील को भी राजनीतिक विश्लेषक कम मतदान से जोड़कर देख रहे हैं।

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उनकी दलील है कि नराजगी की वजह से आजम समर्थकों ने मतदान से परहेज किया। सपा के कई पदाधिकारियों ने भी मतदान से दूरी बनाए रखी। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस था, जबकि पिछले चुनाव में यहां का तापमान 40 डिग्री से नीचे रहा था। शहरी सीट पर मतदाताओं ने कम दिलचस्पी दिखाई।

पीलीभीत : प्रत्याशियों के बाहरी होने से बेरुखी

मतदान के मामले में पीलीभीत पंद्रह साल पीछे चला गया। सीट पर मतदान प्रतिशत 63.11ही रहा। यह 2019 के मुकाबले 4.30 प्रतिशत कम है। वर्ष 2014 में यहां 62.86 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार के मतदान से अधिक वोट वर्ष 2009 और 1984 में पड़े थे।

गर्म हवा के थपेड़ों, प्रशासन के प्रयासों में कमी और वरुण गांधी के समर्थकों की कम सक्रियता को सियासी पंडित कम मतदान की वजह मान रहे हैं। पिछले 35 वर्षों से पीलीभीत सीट पर मेनका और वरुण गांधी का कब्जा रहा है।

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