Breaking News

तापमान वृद्धि सीमित रखने के लक्ष्य से दुनिया को दूर ले जा रहा प्लास्टिक उद्योग, उत्पादन पर नकेल जरूरी

नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन (Climate change) के खतरनाक प्रभावों से बचने के लिए पृथ्वी के दीर्घकालिक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने से रोकना होगा। इसके लिए दुनिया को 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन की स्थिति हासिल करनी है। लेकिन, वैश्विक प्लास्टिक उद्योग दुनिया को इस लक्ष्य से दूर ले जा रहा है।

अपनी आंखों के सामने देखी बेटी की हत्या, महिला ने आरोपी शख्स को पत्थर से कुचलकर मारा

अगर मौजूदा दर से दुनिया में प्लास्टिक उत्पादन जारी रहा, तो शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य 2060 से 2083 के बीच हासिल होगा। हालांकि, तब तक काफी देर हो चुकी होगी, क्योंकि दुनिया 1.5 डिग्री सेल्सियस औसत तापमान वृद्धि की सीमा लांघ चुकी होगी और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव स्थायी व भयानक हो जाएंगे।

तापमान वृद्धि सीमित रखने के लक्ष्य से दुनिया को दूर ले जा रहा प्लास्टिक उद्योग, उत्पादन पर नकेल जरूरी

स्विस गैर-लाभकारी संस्था अर्थ एक्शन ने पिछले सप्ताह द प्लास्टिक ओवरशूट डे रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया कि 2021 के बाद से वैश्विक प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन में 7.11 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसके अलावा दुनिया में इस साल 22 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होगा, जिसमें से 7 करोड़ टन पर्यावरण को प्रदूषित करेगा। इसके अलावा एक बड़ा हिस्सा समुद्र में समा जाएगा, जो उसके पारिस्थितिकी तंत्र को तबाह करेगा। इसके अलावा समुद्रों के गर्म होने में भी इसके असर पर अध्ययन किया जा रहा है।

अपनी आंखों के सामने देखी बेटी की हत्या, महिला ने आरोपी शख्स को पत्थर से कुचलकर मारा

इन तमाम चिंताओं को ध्यान में रखकर कनाडा के ओटावा में प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए 23-29 अप्रैल के दौरान अंतरराष्ट्रीय संधि के लिए संयुक्त राष्ट्र वार्ता के चौथे दौर की बातचीत होनी है। इस बातचीत से पहले अमेरिका की लॉरेंस बर्कले नेशनल लैबोरेटरी (एलबीएनएल) ने एक अध्ययन में बताया है कि वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन तेल की कुल मांग का लगभग 12 फीसदी और प्राकृतिक गैस की कुल मांग का 8.5 फीसदी है।

22 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होगा इस साल दुनिया में

2050 तक शून्य उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करते हुए 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि की सीमा को तोड़ने से बचने के लिए यह जरूरी है कि प्लास्टिक उत्पादन में 12 से 17 फीसदी की कमी की जाए। प्लास्टिक जीवाश्म ईंधन का बाय-प्रोडक्ट है।

इसके अलावा प्लास्टिक उत्पादन में बिजली बनाने से लेकर गर्मी पैदा करने के लिए जीवाश्म ईंधन काम में लाया जाता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। करीब 75 फीसदी उत्सर्जन तो प्लास्टिक बनने से पहले ही हो जाता है। जीवाश्म ईंधन जलाना वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती सांद्रता का प्राथमिक कारण है, जो वैश्विक तापमान बढ़ा रहा है।

About News Desk (P)

Check Also

आज का राशिफल: 26 जून 2024

मेष राशि:  आज का दिन आपके लिए बाकी दिनों की तुलना में बेहतर रहेगा। आप ...