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बिजली उपभोक्ताओं को मिले अधिकार, तय समयसीमा में कनेक्शन नहीं देने पर विद्युत कंपनी को देना होगा जुर्माना

बिजली उपभोक्ताओं के लिए मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. बिजली क्षेत्र में दी जाने वाली अलग अलग सेवाओं के लिए पहली बार सरकार ने समय सीमा तय की है. समयसीमा में काम नहीं करने पर बिजली वितरण कंपनियों पर जुर्माना लगाया जाएगा, जो कम से कम एक लाख रुपये तय किया गया है.

केन्द्रीय बिजली मंत्रालय ने बिजली कानून 2003 के तहत एक आदेश जारी किया गया है. जिसके तहत बिजली उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सेवाओं के लिए समयसीमा तय कर दी गई है. महानगरों में नया बिजली कनेक्शन 7 दिनों में, अन्य शहरों में 15 दिनों में, जबकि ग्रामीण इलाकों में 30 दिनों में देना अनिवार्य बनाया गया है. ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी रहेगी और आवेदन करने के साथ ही समयसीमा की गिनती भी शुरू हो जाएगी.

सरकार के इस फैसले पर केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा कि लोगों को चक्कर काटना पड़ता है. चूंकि बिजली वितरण के क्षेत्र में एकाधिकार है. यानी उपभोक्ताओं के पास वितरण कंपनी चुनने का कोई विकल्प नहीं है, इसलिए ये बेहद जरूरी है.

इसके अलावा मीटर में खराबी आने, बिजली लोड में परिवतज़्न कराने, लोड शेडिंग और खराब ट्रांसफार्मर बदलने जैसी सेवाओं को भी इस आदेश में शामिल किया गया है. इन सेवाओं के लिए समयसीमा तय करने की जिम्मेदारी राज्य बिजली नियामक आयोग को सौंपी गई है. आयोग को ये काम 60 दिनों के भीतर करने को कहा गया है.

तय समयसीमा के भीतर काम नहीं करने पर बिजली वितरण कंपनी को कम से कम एक लाख रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा. इतना ही नहीं, जैसे-जैसे समय बढ़ेगा, प्रतिदिन 6000 रुपये की दर से अतिरिक्त जुर्माना भी देना पड़ेगा.

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