कैराना Kairana लोकसभा उप चुनाव के दौरान प्रचार करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अगर कैराना में भाजपा हारी तो वे इस्तीफा दे देंगे। भाजपा वहाँ चुनाव हार गई है। सवाल है कि “क्या सीएम योगी आदित्यनाथ इस्तीफा देंगे ?”
Kairana सीट हारने के बाद उठ रहे सवाल
कैराना Kairana में भाजपा सांसद हुकुम सिंह और नूरपुर में बीजेपी विधायक लोकेंद्र सिंह चौहान के निधन हो जाने की वजह से चुनाव हुये। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस बार भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए रणनीति तैयार की थी। सहानुभूति वोट के एक्स फैक्टर का फायदा उठाने के लिए कैराना से हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह और नूरपुर से लोकेंद्र सिंह चौहान की पत्नी अवनी सिंह को मैदान में उतारा, लेकिन विपक्ष की एकता ने भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। सपा, बसपा, कांग्रेस और आरएलडी के एक साथ आ जाने से कैराना लोकसभा सीट आरएलडी के खाते में गई तो वहीं नूरपुर विधानसभा सीट सपा ने कब्जा ली है।
कैराना के उपचुनाव पर पूरे देश की निगाहें थीं। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हुए इस चुनाव के नतीजे देश की सियासत को गठबन्धन की राजनीति की सफलता का अनूठा संदेश देने वाले हैं। इसी लिहाज से उपचुनाव का परिणाम काफी अहम है।
विपक्ष की एकता ने कराया ताकत का एहसास
विपक्ष ने रालोद के टिकट पर मुसलिम प्रत्याशी उतारकर आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए परख की कि मुजफ्फरनगर दंगे के बाद बिखरे जाट- मुस्लिम समीकरण को फिर से मजबूती मिल सकती है या नहीं। भाजपा ने भी कैराना लोकसभा सीट को प्रतिष्ठा से जोड़कर रखा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने चुनावी जनसभाएं कीं। भाजपा के कई मंत्रियों, सांसदों व विधायकों की टीमें भी चुनाव प्रचार में लगाई गयीं, लेकिन भाजपा के सभी दांव उल्टे पड़े। कैराना की हार के पीछे जो सबसे बड़ा कारण रहा, वह थी विपक्ष की एकता।