पूर्व केंद्रीय मंत्री व यूपी के पूर्व राज्यपाल राम नाईक को हिंदी उर्दु साहित्य अवार्ड कमिटी द्वारा साहित्य शिरोमणि से सम्मानित किया गया। राम नाईक की संस्मरणात्मक पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! अब तक ग्यारह भाषाओं में व ब्रेल लिपी की तीन भाषाओं में उपलब्ध हुई है। इसके लिए उनको यह सम्मान दिया गया। लोकप्रियता और संस्करण की दृष्टि से इस पुस्तक ने कम समय में लंबी यात्रा तय की है। ये बात अलग है कि राम नाईक अपने को एक्सिडेंटल राइटर ही मानते है। लेखन के नाम पर वह प्रतिवर्ष अपना कार्यवृत्त प्रकाशित करते रहे हैं। उनको यह अनुमान नहीं रहा होगा कि एक दिन वह लेखक के रूप में भी प्रतिष्ठित होंगे।
मराठी दैनिक ‘सकाल’ के लिये लिखे संस्मरणों के संकलन मराठी पुस्तक ‘चरैवेति-चरैवेति’ के कारण वे एक्सीडेंटल राइटर बन गये। उनकी पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ का हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, गुजराती, सिंधी,अरबी, फारसी,जर्मन,असमिया,नेपाली,कश्मीरी भाषा सहित ब्रेल लिपि हिन्दी,अंग्रेजी,एवं मराठी संस्करण का प्रकाशन हुआ। पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ ग्यारह भाषाओं तथा ब्रेल लिपि में तीन भाषाओं में उपलब्ध है। चरैवेति-चरैवेति से उन्हें पहचान मिली है। राम नाईक ने अपने जीवन के संघर्षो का उल्लेख करते है। उन्होंने केसी कालेज से विधि की पढ़ाई की है। मुंबई में रहने और खाने के लिये उन्हें मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। आने जाने के लिये साईकिल का प्रयोग भी उन्होंने किया। सामाजिक क्षेत्र में कार्य करते हुये वे तीन बार विधायक और पांच बार सांसद बने। लोगों के प्रेम और मुंबई ने उन्हें बहुत कुछ दिया। राज्यपाल ने कहा कि उनके जीवन से जुड़े इन्हीं संस्मरणों का संकलन है पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’।
इसके मराठी भाषी संस्मरण का विमोचन महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा ही 25 अपै्रल,2016 को मुंबई में किया गया था। पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू तथा गुजराती संस्करणों का लोकार्पण 9 नवम्बर 2016 को राष्ट्रपति भवन में, 11 नवम्बर 2016 को लखनऊ के राजभवन में तथा गुजराती भाषा संस्करण का 13 नवम्बर 2016 को मुंबई में हुआ।
26 मार्च 2018 को संस्कृत नगरी काशी में राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के संस्कृत संस्करण का लोकार्पण किया गया। पुस्तक के सिंधी संस्करण का लोकार्पण 21 फरवरी 2019 को लखनऊ एवं 22 फरवरी 2019 को अरबी एवं फारसी भाषा में नई दिल्ली में हुआ था। पुस्तक के जर्मन संस्करण का लोकार्पण 30 जून 2019 को पुणे विश्वविद्यालय, पुणे तथा असमिया भाषा संस्करण का 6 जुलाई 2019 को गुवाहाटी में होना है। ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ के लोकार्पण समारोह में दो राष्ट्रपति, तीन मुख्यमंत्री एवं सात राज्यपालों के साथ मंच साझा करने का अवसर मिला है।
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री