लखनऊ विश्वविद्यालय में शताब्दी वर्ष समारोह के दौरान अनेक दिलचस्प पहलू भी दिखाई दिए थे। इसमें भजन गायक अनूप जलोटा को स्नातक का प्रमाणपत्र कुलपति प्रो आलोक कुमार द्वारा प्रदान किया गया। अनेक पूर्व छात्रों की भी पुरानी यादें दशकों बाद ताजा हुई। समारोह की समाप्ति के कुछ दिन बाद पुनः एक भाव विभोर करने वाला दृश्य दिखाई दिया।
कर्नल फसीह अहमद ने अपने पिता सिराज उद्दीन अहमद की इंटरमीडिएट, बैचलर ऑफ साइंस और बैचलर ऑफ़ लॉ की मूल डिग्रियां कुलपति के माध्यम से विश्वविद्यालय को सौंपी। सौ वर्ष तक इन स्मृतियों को संजो कर रखना आसान नहीं रहा होगा। लेकिन कर्नल फसीह अहमद ने इसे संभव किया।
शायद शताब्दी वर्ष के दौरान उन्हें लगा होगा कि यह अब उनके परिवार की ही धरोहर नहीं रहनी चाहिए। इसे विश्वविश्वविद्यालय की अमानत होना चाहिए। सौ वर्ष से संरक्षित दस्तावेजो में पहली कैनिंग कॉलेज से मिले इंटरमीडिएट की डिग्री है।
दूसरी डिग्री कैनिंग कॉलेज से नवंबर 1920 में लखनऊ विश्वविद्यालय बने इस संस्था की पहले स्नातक पाठ्यक्रम की डिग्रियों में से एक है। कर्नल फसीह खुद भी लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र थे। अपने पिता द्वारा परिसर के बारे में बताए गए किस्सों की याद ताजा की और कहा कि कैसे विश्वविद्यालय उनके जीवन में एक प्रारंभिक शक्ति रहा है।
श्री अहमद ने 1920 में अपना इंटर पास किया और लखनऊ के नवगठित विश्वविद्यालय में पहले स्नातक डिग्री पाठ्यक्रम में दाखिला लिया। उन्होंने 1922 में विषयों के रूप में रसायन विज्ञान,वनस्पति विज्ञान और जूलॉजी के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1925 में अपनी व्यावसायिक विधि की डिग्री पूरी की। उसी वर्ष उन्हें इम्पीरियल पुलिस बल के लिए चुना गया।
जिस दिन देश स्वतंत्रत हुआ,उसी दिन वह उत्तर प्रदेश के पहले भारतीय डीआईजी बने थे। कुलपति प्रो आलोक कुमार ने इस दुर्लभ भेंट के लिए कर्नल फसीह का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के लिए विशेष रूप से अपने शताब्दी वर्ष में उनका योगदान उल्लेखनीय है।
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री