फास्टैग के जरिए टोल कलेक्शन रिकॉर्ड तोड़ स्तर पर पहुंच गया है। टोल कलेक्शन करीब 104 करोड़ रुपए तक पहुंचा गया है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। एनएचएआई ने कहा कि 16 फरवरी से टोल प्लाजा से गुजरने वाले यात्रियों से फास्टैग के जरिए ही टोल शुल्क का भुगतान अनिवार्य कर दिए जाने के बाद, फास्टैग के माध्यम से टोल संग्रह में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
फास्टैग से यूजर फीस कलेक्शन में 27% की ग्रोथ
फास्टैग के सुचारू कार्यान्वयन ने इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन ट्रांसेक्शन के लिहाज में 20 फीसदी और फास्टैग के जरिए उपयोगकर्ता शुल्क के संग्रह के मामले में 27 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है।
NHAI ने कहा कि फास्टैग के अभियान को हाईवे का इस्तेमाल करने वालों की ओर से बढ़िया समर्थन मिला है। क्योंकि पिछले दो सप्ताह के दौरान लगभग 20 लाख नए फस्टैग उपयोगकर्ता जुड़े हैं, जिसके बाद कुल फास्टैग जारी करने की संख्या बढ़कर 2.8 करोड़ हो गई है। FASTag कार्यान्वयन ने राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क प्लाजा में वेटिंग पीरियड को काफी कम कर दिया है, जिसका असर यह है कि उपयोगकर्ताओं का अनुभव बेहतर हुआ है।
बयान में कहा गया है कि हाईवे उपयोगकर्ताओं के फास्टैग को लगातार अपनाना न सिर्फ उत्साह बढ़ाने वाला है, बल्कि इससे टोल परिचालन को और ज्यादा बेहतर तरीके से चलाने में मदद मिलेगी। इससे भविष्य में सड़क संपत्ति के सही मूल्यांकन हो सकेगा और देश में राजमार्ग के बुनियादी ढांचे में निवेश करने के लिए ज्यादा निवेशकों को प्रोत्साहित करेगा।
क्या होता है फास्टैग?
फास्टैग एक प्रकार का टैग या स्टिकर होता है। यह वाहन की विंडस्क्रीन पर लगा होता है। फास्टैग रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन या RFID तकनीक पर काम करता है। इस तकनीक के जरिए टोल प्लाजा पर लगे कैमरे स्टिकर के बार-कोड को स्कैन कर लेते हैं और टोल फीस अपनेआप फास्टैग के वॉलेट से कट जाती है। फास्टैग के इस्तेमाल से वाहन चालक को टोल टैक्स के भुगतान के लिए रूकना नहीं पड़ता है।