राजमाता विजय राजे सिंधिया का जीवन सभी के लिए प्रेरणा दायक है। वह राजमाता थी। लेकिन गरीबों,महिलाओं के उत्थान के प्रति उन्होंने राजमहल के भव्य जीवन का मोह नहीं किया। वह स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आजादी के इतने दशकों तक,भारतीय राजनीति के हर अहम पड़ाव की वो साक्षी रहीं। आजादी से पहले विदेशी वस्त्रों की होली जलाने से लेकर,आपातकाल और राम मंदिर आंदोलन तक,राजमाता के अनुभवों का व्यापक विस्तार रहा है।
PM नरेन्द्र मोदी ने उनका स्मरण किया। कहा कि राजमाता जी कहती थीं- मैं एक पुत्र की नहीं, मैं तो सहस्त्रों पुत्रों की मां हूं। हम सब उनके पुत्र पुत्रियां ही हैं,उनका परिवार ही हैं। मोदी ने कहा कि मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि मुझे राजमाता जी की स्मृति में सौ रुपये के विशेष स्मारक सिक्के का विमोचन करने का मौका मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी सौंवी जन्म जयंती पर सौ रुपये का सिक्का जारी किया। कहा राजमाताजी की जीवन यात्रा व उनके जीवन संदेश से नई पीढ़ी को अवगत कराया जाए।
राजमाता ने सामान्य मानवी के साथ, गांव गरीब के साथ जुड़कर जीवन जिया, उनके लिए जीवन समर्पित किया। राजमाता ने ये साबित किया की जनप्रतिनिधि के लिए राजसत्ता नहीं जनसेवा सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने सशक्त,सुरक्षित,समृद्ध भारत का सपना देखा था। वर्तमान सरकार इन सपनों को आत्मनिर्भर भारत की सफलता से पूरा करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,उनके सहयोगी मंत्री व अन्य वरिष्ठ नेता भी इन वर्चुअल कार्यक्रम में लखनऊ से सम्मलित हुए।