वाराणासी। राजघाट स्थित सर्वसेवा संघ में गाँधी प्रतिमा पर किसान आंदोलन में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए सभा में कहा गया कि यह बहुत दुःखद है कि किसानों की मांगों को सरकार नज़रंदाज़ करके किसानों के आंदोलन को तरह तरह से बदनाम कर रही है।
देश भर में किसान वर्षों से अपने हक़ की लड़ाई लड़ता रहा है। देश में अलग अलग प्रदेशो में समय समय पर किसान आंदोलन कर के अपनी मांग उठाता आ रहा है।अपनी फसलों की सही कीमत हो या बिजली बिल हो या कर्ज माफी या फिर गन्ना किसानों का बकाया उनकी मांगे सुनी नही गई। आज जब देश भर में कृषि कानून के विरोध में इस भयानक ठंड में उनका वीरोध प्रदर्शन चल रहा है,में अनेक किसानों की जान चली गई।
दुःखद है कि मोदी सरकार किसानों की मांग मानने के बजाय इन्हें बदनाम करने में लगी है। किसान कह रहे हैं कि यह तीनों कृषि कानून किसान विरोधी है लेकिन मीडिया के सहारे मोदी सरकार जानबूझ कर भ्रम फैलाने में लगी है। यह सरकार किसानों को अडानी-अम्बानी का बंधुआ मजदूर बनाना चाह रही है। अगर मोदी सरकार वास्तव में इसे किसान हितैषी बनाना चाहती है तो कृषि कानून वापस लेकर,MSP को सभी फसलों के लिए वैधानिक करे।
शहीद किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सरकार से मांग की गई कि किसानों की बात मानी जाए व कृषि कानून वापस हो। श्रद्धांजलि सभा में पूर्वांचल के किसानों की मांग को जोड़ते हुए सात सूत्रीय मांग रखी गयी।
- गेहूं,धान के साथ साथ सब्जी फल आदि की भी न्यूनतम खरीद मूल्य तय हो इससे कम खरीद करने वाले पर मुकदमा कायम किया जाए।
- किसान हित विरोधी कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।
- छुट्टा पशु की परेशानी से निजात मिले।
- बीज, खाद, कृषि उपकरण, पानी और बिजली के बढ़े हुए दाम वापस लिए जाएं, और इन्हें समुचित सब्सिडी पर किसानों को उपलब्ध कराया जाए।
- कृषि को कोआपरेटिव मॉडल से जोड़ा जाए।
- अधिया लगान पर या किराए की खेती करने वाले को भी किसान का दर्जा मिले।
- छोटे व लघु किसानी से मनरेगा को जोड़ा जाए।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से अरविंद अंजुम, जागृति राही, अनूप आचार्य, नन्द किशोर, गोपाल पांडे, विनोद, अनूप श्रमिक, मनस, संजय सिंह, मानसी सिंह, सुहानी, संस्कृति, मौसमी, सरोज शर्मा, जावेद आदि लोग मौजूद थे।
रिपोर्ट-जमील अख्तर