उच्चतम न्यायालय ने जीवन के अधिकार को सर्वोपरि रेखांकित करते हुये शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को 19 जुलाई तक उसे बताने के लिये कहा कहा कि क्या वह राज्य में सांकेतिक’ कांवड़ यात्रा आयोजित करने के अपने फैसले पर फिर से विचार करेगी।
केन्द्र ने ये भी कहा है कि, धार्मिक भावनाओं को देखते हुए राज्य सरकारों को टैंकरों के माध्यम से ‘गंगा जल’ उपलब्ध कराने चाहिए.यूपी में कांवड़ यात्रा को लेकर सुनवाई दोपहर में शुरू हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने पीएम मोदी के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि, खुद पीएम मोदी ने ही कहा है कि कोरोना को रोकने के प्रयासों में किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है.
शीर्ष अदालत ने कोविड महामारी के बीच’कांवड़ यात्रा’की अनुमति देने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर मीडिया की खबरों का 14 जुलाई को स्वत: संज्ञान लिया था और मामले पर अलग- अलग राजनीतिक प्रतिक्रिया को देखते हुए’ राज्य के साथ- साथ केंद्र से जवाब मांगा था।
यूपी के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि कोर्ट का जो आदेश होगा वो स्वीकार्य होगा.न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि पहली नजर में उसका दृष्टिकोण है कि सभी प्रकार की भावनाएं संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन हैं।