कॉलेज कैंटीन से लेकर दोस्त, फिल्में, याराना युवाओं की जिंदगी इन्हीं सब में सिमट कर रह जाती है। बेफिक्री और गैर जिम्मेदाराना रवैया के चलते उन्हें आए दिन कुछ ना कुछ उन्हें सुनना पड़ता है इस उम्र में अक्सर जिम्मेदारियाँ बहुत बेफिक्र सी लगने लगती है पैसे की फिक्र करना फिजूल लगता है वह इनमे उलझना नहीं चाहते हैं भविष्य की चिंता नहीं करना चाहते, यही वजह है कि पैरंट्स और टीचर को भी हमेशा यही लगता है कि इन्हें किसी चीज की फिक्र नहीं है लेकिन अगर थोड़ा गौर फरमाएं तो पाएंगे कि इन युवाओं की दुनियाँ में कुछ हलचल हो रही है परिस्थितियाँ करवट ले रही है। गैर जिम्मेदाराना सोच और फिजूल में बाइक का पेट्रोल जलाने वाले यह वंदे अब अपने पैरों में खड़े होने की सोचने लगे हैं। आजकल के बच्चों को पैसों की कीमत पता नहीं है यह माता पिता कहते हैं।
ओए पापा, बड्डी, यार मान जाओ ना
अगर आज की परिस्थिति पर गौर किया जाए तो 16 से 19 साल के युवाओं में पढ़ाई के साथ साथ काम करने का रुझान काफी बढ़ गया है कॉलेज जाने वाले पढ़ाई करने वाले यह बच्चे कई प्रकार के पार्ट टाइम कामों में जुड़े हुए हैं यह काम के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी कर रहे हैं काम करने की वजह सबकी अपनी अपनी और अलग-अलग है पर उद्देश्य सबका एक ही है आत्मनिर्भर बनना। सर्वे से पता चलता है कि कॉलेज में पढ़ने वाले लगभग 40 फ़ीसदी बच्चे किसी न किसी पार्ट टाइम जॉब में जुड़े होते हैं इसके कई कारण है पॉकेट मनी, आत्मनिर्भरता। कुछ व्यवहारिक ज्ञान पाना चाहते हैं कुछ अपने कुछ विषय से जुड़े क्षेत्र की जानकारी पाना चाहते हैं तो कुछ अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते काम करना चाहते हैं, कारण कुछ भी हो पर हमें एक बात तो माननी पड़ेगी यह बच्चे छोटी उम्र में अपनी जिम्मेदारियों को समझने का प्रयास कर रहे है।
बच्चे अपने पेरेंट्स का बोझ हल्का करना चाहते हैं कॉलेज और पढ़ाई के साथ बहुत समय बचाना चाहते हैं और उसे व्यर्थ ना करके खाली समय का सदुपयोग करके कुछ सीख भी रहे हैं, ताकि कुछ कमाई हो जाए जॉब करने में जो आत्मविश्वास बच्चों को मिलता है उसे वह आर्थिक रूप से अपने पेरेंट्स की सहायता कर रहे है। किसी भी क्षेत्र में सिर्फ किताबी ज्ञान काफी नहीं होता और आज के युग में तो बिल्कुल भी नहीं। कुछ समय पहले पार्ट टाइम जॉब के विकल्प नहीं थे और थे भी तो बहुत कम! पर आज इसमें कोई कमी नहीं है आज कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं रह गया है इसलिए काम के विकल्प भी बड़े हैं। छात्र हर तरह के काम कर रहे हैं कोई कॉफी शॉप में वेटर है कोई सेल्समैन तो कोई जिम इंस्ट्रक्टर। यह अच्छा भी है ऐसे में बच्चे ऐसे काम का चुनाव कर सकते हैं जो उनका कैरियर तो नहीं है पर उनको रुचिकर लगे।
‘आई लव यू’ इन तीन अंग्रेजी के शब्दों का ग्रामर समझने में अभी भी गलती होती है
ऐसे छात्र जो पार्ट टाइम जॉब करना चाहते हैं उनके लिए कई तरह के ऑनलाइन जॉब भी उपलब्ध है इनमें से अधिकतर जॉब के लिए किसी प्रकार की डिग्री या प्रोफेशनल ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होती और सबसे अच्छी बात वह अपने काम के साथ अपनी पढ़ाई और बाकी काम भी आराम से कर सकते हैं। कुछ युवा लाइब्रेरी मैनेजर तो कुछ रिसेप्शनिस्ट का काम कर रहे हैं। इसके अलावा यह बच्चे अन्य क्षेत्रों में भी काम कर सकते हैं अकाउंट राइडर, ट्यूटर, डांस टीचर, म्यूजिक टीचर, टूर गाइड, कॉल सेंटर, रिसर्च राइटर आदि और ऐसे कई सारे जॉब बच्चों के लिए वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।
बच्चों को सबसे पहले इसकी रूपरेखा तैयार करनी चाहिए कि वह जो निर्णय ले रहे हैं वह किस वजह से ले रहे हैं और वह क्यों इस जॉब में जाना चाहते हैं? केवल दिखावे या फैशन के लिए कोई काम नहीं करना चाहिए हर काम की अपनी जिम्मेदारी होती है इसका ध्यान बच्चों को रखना चाहिए और कहीं भी काम करने से पहले बच्चों को यह तय कर लेना चाहिए कि उनके काम करने से पढ़ाई प्रभावित ना हो। किसी भी काम करने के लिए एकाग्रता होनी जरूरी है इसका ध्यान बच्चे जरूर रखें।
कहीं भी काम करने से पहले उस काम की उस जगह की पूरी पूछताछ करे किसी भी अनजान जगह पर काम ना करें याद रखें आपकी सुरक्षा सर्वोपरि है बच्चे कहीं भी काम करने जाएं पहले अपने माता-पिता को उसकी जानकारी अवश्य दें उन्हें विश्वास मैंने उनसे किसी प्रकार की कोई बात ना छुपाए और माता पिता का भी कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को प्रोत्साहित करें जो उनकी इच्छा है उसे पूर्ण करें। आज का समय बदल गया है उसे स्वीकार करना सीखें उन्हें यह कहकर हतोत्साहित ना करें कि पढ़ाई के लिए सिर्फ पढ़ाई करो। हांँ पर इस बात का ध्यान जरूर रखें कि वह काम के चलते पढ़ाई को नजर अंदाज ना करें।