क्षय उन्मूलन में अहम भूमिका निभाए युवा वर्ग – डीटीओ
सीएसजेएम विश्वविद्यालय और एचबीटीयू के छात्र-छात्राओं का हुआ उन्मुखीकरण
क्षय रोगियों को पोषण पोटली का किया गया वितरण
कानपुर। पूरे देश को वर्ष 2025 तक टीबी (क्षय) मुक्त करने की दिशा में सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत शुक्रवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएम), कानपुर और हार्टकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) में स्वास्थ्य विभाग ने टीबी पर एक संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया। इसका आयोजन जिलाधिकारी विशाख जी के निर्देशन व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन के नेतृत्व में किया गया। एचबीटीयू के सहयोग से वहां उपस्थित कुल 10 क्षयरोगियों को जिला क्षयरोग अधिकारी द्वारा पोषण पोटली भी वितरित की गयी।
इस दौरान जिला क्षय रोग अधिकारी(डीटीओ) डॉ आरपी मिश्रा , उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राजेश्वर सिंह व जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) राजीव सक्सेना ने विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को टीबी मुक्त भारत अभियान में सहयोग करने का आग्रह किया। सीएसजेएम के निदेशक डॉ प्रशांत मिश्रा व एचबीटीयू के कुलपति प्रो. शमशेर ने आश्वस्त किया कि वह टीबी के खिलाफ जंग में जनपद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के साथ हैं। सभी विद्यार्थी समुदाय में लोगों को टीबी रोग के प्रति जागरूक करेंगे।
डीटीओ डॉ आरपी मिश्रा ने उपस्थित छात्र-छात्राओं से कहा – “आप युवा हैं और क्षय रोग उन्मूलन में आप अहम भूमिका निभा सकते हैं। आप लोगों को इस बीमारी के लक्षणों के बारे में बताएं, यदि कोई संभावित मरीज आपके संज्ञान में है अथवा आये तो उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराने के लिए प्रेरित करें। स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीबी की जाँच और इलाज उपलब्ध है। डॉट सेंटर्स और डॉट प्रोवाइडर्स के माध्यम से दवा लोगों को घर के पास या घर पर ही उपलब्ध कराई जाती है। इन सभी संदेशों को आप आगे ले जाएँ और अपने शहर कानपुर को क्षय रोग से मुक्ति दिलाने में अहम योगदान दें।” उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2023 का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 2022 में टीबी से होने वाली मौतें भी घटी हैं। इस दौरान दुनिया के 27 फीसदी टीबी मरीज भारत में पाए गए हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि देश-प्रदेश में टीबी मरीजों को चिन्हित करने का काम तेज हुआ है।
GGIC में स्वास्थ्य के प्रति किशोरियों को किया गया जागरूक, की गयी एनीमिया जांच
उप जिला क्षयरोग अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए विशेष अभियान चलाये जा रहे हैं। टीबी यानि क्षय रोग जिसका मतलब होता है शरीर का क्षय होना । टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है । यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकलने वाले ड्रापलेट्स से सांस के जरिये फैलता है । जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो टीबी के जीवाणु हवा में फ़ैल जाते हैं। संक्रमित हवा में सांस लेने से स्वस्थ व्यक्ति या बच्चे भी टीबी से संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए टीबी ग्रसित व्यक्ति खांसते और छींकते समय मुंह को हमेशा ढके रहें। नैपकिन को हमेशा बंद डस्टबिन में डालें। उपचाराधीन क्षय रोग पीड़ित व्यक्ति के साथ रहने या उसे छूने से यह नहीं फैलती है | टीबी से बचाव के लिए कोविड से बचाव के लिए अपनाए जाने वाले प्रोटोकॉल सार्थक हैं।
डीपीसी राजीव सक्सेना ने बताया कि निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी के मरीज को निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार के दौरान 500 रुपये प्रति माह अच्छे पोषण के लिए सरकार द्वारा दिये जा रहे हैं। यह राशि मरीज के बैंक खाते में सीधे भेजी जाती है। निजी चिकित्सालयों में भी जिन टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है, उनको भी निक्षय पोषण योजना के तहत यह राशि प्रदान की जाती है। यदि कोई व्यक्ति नए क्षय रोगी की प्रथम सूचना देता है तो उसे भी सरकार द्वारा 500 रुपये प्रदान किए जाते हैं।
इस दौरान उपस्थित छात्र छात्राओं को दिये गए जन जागरूकता संदेश –
‘टीबी हारेगा देश जीतेगा’,
‘जन जन को जगाना है टीबी को भागना है’,
‘टीबी से बचाव करें और अपनों का ख्याल करें’
‘अपने बच्चों को बीमारियों से बचाएंगे, सब काम छोड़ पहले टीकाकरण कराएंगे’
रिपोर्ट – शिव प्रताप सिंह सेंगर