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SGPGI: जीवन रक्षक दवाओं की खरीद में हेराफेरी की आशंका, दवाओं की गुणवत्ता जांचने वाली कमेटी की सूची लीक

उत्तर प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) के जिम्मेदार अधिकारी ही इसकी साख पर बट्टा लगाने का काम कर रहे हैं। जिस धरती के भगवान के भरोसे मरीज अस्पताल पहुंच कर जीने की उम्मीद रखता है, वहां निजी स्वार्थ के लिए जीवन रक्षक दवाओं की खरीद में हेराफेरी की जा रही है। इस बात का खुलासा दवाओं को खरीदने वाली टेक्निकल टीम में शामिल लोगों के नाम सार्वजनिक होने के बाद हुआ है।

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ज्ञाताव्य हो कि एसजीपीजीआई में करोड़ों रूपयों की दवाओं की खरीदारी होती है। गुणवत्ता युक्त दवाएं खरीदने के लिए दवा कंपनियों से मूल्य निर्धारण करने वाले हॉस्पिटल रिवाल्विंग फंड (एचआरएफ) विभाग का आलम है कि गुणवत्ता का मूल्यांकन करने वाली विभागवार विशेषज्ञों की टीम की सूची, टेंडर प्रक्रिया में शामिल दवा कंपनी के हाथ लग चुकी है। जिसके बाद टेंडर की पारदर्शिता और दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं।

SGPGI: जीवन रक्षक दवाओं की खरीद में हेराफेरी की आशंका, दवाओं की गुणवत्ता जांचने वाली कमेटी की सूची लीक

रायबरेली रोड स्थित पीजीआई में मरीजों को गुणवत्ता युक्त दवाएं, सस्ते मूल्य में उपलब्ध के लिए हॉस्पिटल रिवाल्विंग फंड (HRF) विभाग काम करता है। एचआरएफ विभाग, दवा कंपनियों के साथ गुणवत्ता युक्त दवाओं के दाम तय किए जाते हैं। चयनित कंपनियों की दवाएं ही अस्पताल में दवा काउंटर पर बिक्री के लिए उपलब्ध होती हैं।

मरीजों को गुणवत्ता युक्त दवाएं उपलब्ध कराना संस्थान की जिम्मेदारी है। टेक्निकल इवोल्यूशन कमेटी मेंबर्स की लिस्ट का खुलासा हो गया है, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। इस विषय पर संबन्धित अधिकारियों से साथ बात की जाएगी और निरीक्षण किया जाएगा कि टेंडर प्रक्रिया में मानक का उल्लंघन होने पर अपेक्षित कार्रवाई की जाएगी। – प्रो आरके धीमन (निदेशक एसजीपीजीआई)

दवाओं की गुणवत्ता परखने के लिए एचआरएफ द्वारा विभागवार टेक्निकल इवोल्यूशन कमेटी बनाई जाती है तो कि टेंडर में शामिल कंपनियों के दवाओं के मानक का निरीक्षण करते हैं और मानक न पूरे करने वाली दवा कंपनियों को टेंडर से बाहर जाती हैं। निरीक्षण करने वाली टेक्निकल इवोल्यूशन कमेटी मेंबर्स (मेडिसिन) की सूची का खुलासा होने के बाद, टेंडर प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं।

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टेंडर में शामिल कंपनियों का कहना है कि लंबे समय से टेंडर प्रक्रिया चल रही है, जिसमें करीब 250 दवा निर्माता कंपनियों ने प्रतिभाग किया था, मगर उनमें से 70 कंपनियों को बिना कारण बताए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। अधिकारियों ने इवोल्यूशन कमेटी में शामिल विशेषज्ञों ने नाम की सूची चहेती कंपनी को उपलब्ध करा दी गई है।

दवाएं अस्पताल प्रशासन द्वारा ही खरीदी जाती हैं। जिम्मेदारी भी अस्पताल प्रशासन की है। लिस्ट के लीक होने की जानकारी मिली है, इसलिए संस्थान के अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी। -आलोक कुमार (प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग)

एचआरएफ द्वारा दवाओं की खरीद के लिए कुल 27 प्रकार की टेक्निकल इवोल्यूशन कमेटी की सूची लीक हो चुकी है। विभागवार सूची में एनेस्थिसिया विभाग में नौ सदस्य, एंटी फीलीमेट्री एंटी पाइरेटिक्स में सात सदस्य, एडरेन्जिक एंड कोलाइनरजेसिक एजेंट के लिए पांच, डर्मोलॉजी ड्रग में चार आदि कुल 27 कमेटी गठित की गई हैं। इन कमेटियों में तीन से लेकर अधिकतम सात सदस्य शामिल हैं।

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