राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने कहा कि इस मानसिकता को बदले जाने की जरूरत है कि बच्चों को पालना और घर चलाना केवल महिलाओं की जिम्मेदारी है। महिलाओं को परिवार से अधिक सहयोग मिलना चाहिए, जिससे वे बिना किसी बाधा के अपने करियर में सर्वोच्च पद पर पहुंच सकें।
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राष्ट्रपति ने यह बातें गुरुवार को गुरुग्राम में ब्रह्माकुमारी संस्था के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में मूल्य निष्ठ समाज की नींव महिलाएं विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए किया।
मां पहली गुरु : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि बच्चों के लिए मां पहली गुरु और शिक्षक होती है, जो उन्हें संस्कारवान बनाती है। हमने धरती को भी माता का दर्जा दिया है, लेकिन आधुनिक युग में पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। इसके लिए सभी को सजग होने की जरूरत है। इस पहल में महिलाएं अहम भूमिका निभा सकती हैं। महिलाएं ही समाज में बदलाव ला सकती है।
गांधी की प्रेरणास्रोत उनकी पत्नी थीं : राष्ट्रपति ने कहा कि आध्यात्मिक जीवन से दिव्य शांति और आनंद के द्वार खुलते हैं। इस शांति की खोज माताएं अपनी परिवार में शुरू करें। मीराबाई, माधवी दासी जैसी नारियों को आध्यात्मिक शक्ति के रूप में पहचाना और सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रेरणास्त्रत्तेत उनकी पत्नी कस्तूरबा थीं। इससे पहले हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राष्ट्रपति का स्वागत किया।
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राष्ट्रपति ने कहा कि समाज में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार अपना दायित्व निभा रही है। प्रत्येक व्यक्ति को नारी शक्ति का सम्मान करते हुए उनकी कार्यशैली से प्रेरणा लेनी चाहिए। महिलाओं को जब भी अवसर मिला, उन्होंने खुद को साबित किया। महिलाओं के सशक्तिकरण से ही परिवार सशक्त होंगे और सशक्त परिवार ही सशक्त समाज एवं राष्ट्र का निर्माण करेंगे। विज्ञान, कला, शिक्षा, इंजीनियरिंग या राजनीतिक क्षेत्र हो, महिलाओं ने हर स्तर पर अपनी कामयाबी के झंडे बुलंद किए हैं।