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दो दिनों तक मनाया जाएगा मुस्लिम समाज का पवित्र त्यौहार शब-ए-बारात

दया शंकर चौधरी

पूरे देश में आज जहाँ एक ओर हिन्दुओं का पवित्र त्यौहार “होली” बड़ी धूम -धाम से मनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समाज का पवित्र त्यौहार शब-ए-बरात भी आज ही यानि 28 और 29 मार्च को मनाया जा रहा है। आइये जानते हैं इस त्योहार की मान्यताएं, महत्व और तौर तरीकों के बारे में।

शब-ए-बारात दो शब्दों, शब और बारात से मिलकर बना है।जहां शब का अर्थ रात से है वहीं बारात का मतलब बरी होना है। मुसलमानों के लिए यह रात बेहद महत्वपूर्ण रात मानी जाती है। इस दिन विश्व के सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं।

शब-ए-बरात को मुस्लिम समाज के द्वारा इबादत के पर्व के तौर पर मनाया जाता है। इस मौके पर लोग रात भर अपने घरों और मस्जिदों में इबादत करते हैं और कब्रिस्तानों में जाकर अपने और पूर्वजों के लिए अल्‍लाह से दुआ करते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शब-ए-बरात को शाबान महीने की 14वीं तारीख और 15वीं तारीख के मध्य में मनाया जाता है। इस साल यानि 2021 में यह त्योहार 28 मार्च से लेकर 29 मार्च को मनाया जा रहा है। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक शब-ए-बरात में इबादत करने वाले लोगों के गुनाह माफ हो जाते हैं। ऐसे में लोग इस मौके पर अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।

मिलती है गुनाहों की माफी

हिजरी कैलेंडर के मुताबिक शब-ए-बरात इबादत की रात होती है। यह हर साल शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। इस मौके पर जहां लोग अल्‍लाह से अपनी बेहतरी के लिए दुआ करते हैं और गुनाओं की माफी मांग कर इबादत में रात बिताते हैं। वहीं इस रात लोग अपने पूर्वजों की कब्रों पर जाते हैं, जहां रोशनी की जाती है।

मानी जाती है मुकद्दस (पवित्र) रात

वैसे तो मुस्लिम समाज में हर त्‍योहार पर इबादत का विशेष महत्‍व है। मगर शब-ए-बारात मुसलमानों के लिए गुनाहों से आजादी की रात होती है। इस मौके पर मुस्लिम समाज में घरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। शब-ए-बारात में मस्जिदों और कब्रिस्तानों में भी खास तरह की सजावट की जाती है। साथ ही लोग अपने बुजुर्गों की कब्रों पर जाकर चरागा करते हैं और उनके गुनाहों की माफी की दुआ मांगते हैं।

मान्‍यता के मुताबिक चार मुकद्दस रातों,आशूरा की रात, शब-ए-मेराज और शब-ए-कद्र में से एक शब-ए-बारात भी है। इसे बहुत ही मुकद्दस माना जाता है। इस मौके पर जहां रात इबादत में गुजारी जाती है, वहीं दूसरे दिन सुबह से शाम तक रोजा रख कर अपने गुनाहों से तौबा की जाती है। इस मौके पर खास पकवान भी बनाए जाते हैं। हलवा, बिरयानी, कोरमा आदि से मेहमानों की मेहमान नवाजी की जाती है, वहीं गरीबों को भी खाना खिलाया जाता है।

प्रशासनिक अधिकारियों ने लखनऊ के अंजुमन इस्लामिया कब्रिस्तान का लिया जायजा

अंजुमन इस्लामिया कब्रिस्तान वक्फ नम्बर 83 माल एवेन्यू लखनऊ में शब ए बारात के मद्देनजर राधवेन्द्र मिश्रा, ए सी पी हजरतगंज लखनऊ दिनेश बहादुर, चौकी प्रभारी पुराना क़िला प्रमोद कुमार, चौकी प्रभारी ओ सी आर हुसैनगंज आदि ने निरीक्षण किया।

सम्बंधित अधिकारियों ने अंजुमन इस्लामिया कब्रिस्तान कमेटी व दरगाह दादा मियां के पदाधिकारियों से वार्ता करते हुए कहा कि कोविड 19 कोरोनावायरस भारत सरकार की गाइडलाइंस का पालन करते हुए इबादत करें। अंजुमन इस्लामिया कब्रिस्तान के पदाधिकारी अशफाक कुरैशी ने इबादत करने वालों से अपील की है कि वे कोरोना के मद्देनजर सावधानी का विशेष ध्यान रखें।

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